नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा बृहस्पतिवार को जारी एक नयी रिपोर्ट के अनुसार 2020 में भारत में प्रति व्यक्ति ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन वैश्विक औसत से काफी नीचे था। रिपोर्ट के अनुसार भारत में यह 2.4 टीसीओ2ई (टन कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य) था जबकि वैश्विक औसत 6.3 टीसीओ2ई था। ‘उत्सर्जन अंतराल रिपोर्ट 2022’ अगले महीने मिस्र में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी27) से पहले जारी की गई। इसमें यह भी कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय पेरिस लक्ष्यों से अब भी बहुत पीछे है। साथ ही वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए कोई विश्वसनीय मार्ग नहीं नजर आ रहा है।
क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए पेरिस समझौता
जलवायु परिवर्तन की समस्या के हल के लिए, विभिन्न देशों ने इस सदी में वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए 2015 में पेरिस समझौता किया था। रिपोर्ट के अनुसार 2020 में वैश्विक औसत प्रति व्यक्ति ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (भूमि उपयोग, भूमि-उपयोग में बदलाव और वानिकी सहित) 6.3 टीसीओ2ई रहा। अमेरिका में यह 14 टीसीओ2ई रहा जो वैश्विक औसत से काफी अधिक है।
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अमेरिका, चीन का ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन सबसे अधिक
रिपोर्ट के अनुसार इसके बाद रूस में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन प्रति व्यक्ति 13 टीसीओ2ई, चीन में 9.7 टीसीओ2ई, ब्राजील और इंडोनेशिया में लगभग 7.5 टीसीओ2ई और यूरोपीय संघ में 7.2 टीसीओ2ई रहा। रिपोर्ट के अनुसार “भारत 2.4 टीसीओ2ई के साथ वैश्विक औसत से काफी नीचे है। औसतन, कम विकसित देश सालाना प्रति व्यक्ति 2.3 टीसीओ2ई ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित करते हैं। इसमें कहा गया है कि जी20 देशों के बीच प्रति व्यक्ति उत्सर्जन में व्यापक अंतर है और भारत का उत्सर्जन जी20 के औसत का लगभग आधा है, वहीं सऊदी अरब में यह उत्सर्जन जी20 के औसत का दोगुना है।