स्वामी प्रसाद मौर्य क्या बसपा में फिर से लौट सकते हैं। राजनीतिक गलियारों में इस बात की अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं। स्वामी बीते दिनों सपा से अलग हो चुके हैं।
क्या स्वामी प्रसाद फिर से अपनी पुरानी पार्टी बसपा में लौट सकते हैं? ऐसे कयास इसलिए लगाए जा रहे हैं क्योंकि सपा और विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के प्रशासन की तारीफ की है। इससे उनके भावी कदम के बारे में निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने हाल ही में राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी का गठन किया है। स्वामी प्रसाद ने एक न्यूज पोर्टल को दिए साक्षात्कार में कहा कि एक प्रशासक के रूप में मायावती की बराबरी न कोई कर पाया है और न कर पा रहा है। राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि स्वामी प्रसाद बसपा के साथ बेहतर रिश्ते रखकर अगला कदम उठाना चाहते हैं। वे बसपा या भाजपा से बाहर से जुड़े रहकर राजनीतिक रूप से सक्रिय रहेंगे। अपने परिवार की राजनीति को ध्यान में रखकर भी वे अगला कदम उठाना चाहते हैं।
सपा से हो चुके हैं अलग
स्वामी प्रसाद मौर्य सपा पर अपनी उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ चुके हैं। हालांकि वह यह भी कह चुके हैं कि वह इंडिया गठबंधन का हिस्सा बना रहना चाहते हैं। उनकी सबसे ज्यादा नाराजगी सपा में राम गोपाल वर्मा और मनोज पांडेय से रही है। कुछ दिनों पहले ही मनोज पांडेय भी पाला बदलकर भाजपा में जा चुके हैं।
भाजपा-बसपा के गठबंधन से मिली आनंद को वाई श्रेणी सुरक्षा- राय
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि राज्यसभा चुनाव में बसपा का वोट भाजपा प्रत्याशी को मिला, जिसका इनाम पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के भतीजे आकाश को मिला है। उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा देकर भाजपा सरकार ने साबित कर दिया है कि उसकी पार्टी के साथ बसपा का गठबंधन चल रहा है। जनता सब देख रही है और इसका जवाब लोकसभा चुनाव में देगी।
प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने एक बयान में कहा कि लगातार साबित हो रहा है कि बसपा भाजपा की बी टीम के रूप में कार्य कर रही है। दोनों का आन्तरिक गठजोड़ अब जनता के सामने आ रहा है। वर्ष 2022 के चुनाव के अगर बसपा प्रत्याशियों की सूची देखी जाए तो भी यह बात स्पष्ट हो जाएगी।
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