आज़मगढ़आजमगढ़उत्तर प्रदेशखेलटेक्नोलॉजीदेशमनोरंजनराजनीतिविदेशस्वास्थ

धर्मेंद्र को आजमगढ़ भेज सपा ने बढ़ाई सियासी बेचैनी

इत्रनगरी के सियासी दंगल में जोर आजमाइश के लिए समाजवादी पार्टी की ओर से पत्ते न खोलने से न सिर्फ प्रतिद्वंदी बल्कि खुद पार्टी के कार्यकर्ता भी असमंजस में हैं। कार्यकर्ताओं के बीच हालांकि चर्चा यही है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ही खुद यहां से चुनाव लड़ेंगे।
लोकसभा चुनाव का एलान हो चुका है। भाजपा ने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है। पिछला चुनाव न लड़ने वाली बसपा ने भी प्रत्याशी घोषित कर दिया है। इन सबके बीच सूबे की मुख्य विपक्षी पार्टी सपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। पिछले दिनों कन्नौज लोकसभा के प्रभारी बनाए गए बदायूं के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव को आजमगढ़ से उम्मीदवार बना दिया गया है। अब सभी की निगाहें सपा के उम्मीदवार पर है।
इत्रनगरी के सियासी दंगल में जोर आजमाइश के लिए समाजवादी पार्टी की ओर से पत्ते न खोलने से न सिर्फ प्रतिद्वंदी बल्कि खुद पार्टी के कार्यकर्ता भी असमंजस में हैं। कार्यकर्ताओं के बीच हालांकि चर्चा यही है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ही खुद यहां से चुनाव लड़ेंगे। खुद पिछले एक साल में कई बार अखिलेश यादव भी इस बात का इशारा कर चुके हैं। हालांकि कुछ दिन से चर्चा थी कि वह कन्नौज से ज्यादा आजमगढ़ पर ध्यान दे रहे हैं। बाद में फिर चर्चा का रुख बदला और उनके दोनों ही सीट से चुनाव लड़ने की बात जोर पकड़ने लगी।
इस बीच आजमगढ़ में उनकी ओर से बिछाई गई सियासी बिसात से यह इशारा मिलने लगा कि अखिलेश यादव की दिलचस्पी वहां ज्यादा है। कुछ दिन पहले बदायूं से घोषित उम्मीदवार और वहां के सांसद रहे धर्मेंद्र यादव को कन्नौज के साथ ही आजमगढ़ लोकसभा का प्रभारी बनाने से नई चर्चा शुरू हो गई। माना गया कि धर्मेंद्र भी यहां से उम्मीदवार हो सकते हैं। हालांकि पार्टी की ओर से एक दिन पहले जारी चौथी लिस्ट में धर्मेंद्र यादव को आजमगढ़ से ही उम्मीदवार बनाने का एलान किया गया है। ऐसे में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि अखिलेश यादव कन्नौज से ही चुनाव लड़ेंगे।
एक चर्चा यह भी…लडने से ज्यादा लड़ाने पर ध्यान देंगे अखिलेश
एक चर्चा यह भी है कि अखिलेश यादव चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके पीछे दलील यह है कि वह इन दिनों विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में हैं। उन्होंने आजमगढ़ से सांसद पद से इस्तीफा देकर करहल विधानसभा सीट से विधायक रहने को तरजीह दी थी। सियासी जानकार बताते हैं कि अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव के साथ ही वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव पर ध्यान दे रहे हैं। ऐसे में उनके सांसद बनने पर विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना होगा। खुद को सूबे में सक्रिय रखने के लिए वह सांसद बनने के बजाए विधायक रहना ही पसंद करेंगे। अगर ऐसा रहा तो कन्नौज से पार्टी किसे सामने लाएगी, इसे लेकर कयासों का दौर जारी है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button