आज़मगढ़आजमगढ़उत्तर प्रदेशखेलटेक्नोलॉजीदेशमनोरंजनराजनीतिविदेशस्वास्थ

यूपी की इन आठ लोकसभा सीटों पर कड़ा मुकाबला

कहां से कौन प्रत्याशी मैदान में

आज यूपी की आठ लोकसभा सीटों पर मतदान होना है। प्रशासन ने मतदान कराने की पूरी तैयारी कर ली है। इन सभी सीटों पर कड़ा मुकाबला होने जा रहा है। जानिए किस सीट पर किन-किन के बीच मुकाबला है।
आखिरकार मतदान की घड़ी आ ही गई। प्रथम चरण का यह चुनाव दिग्गजों की साख का सवाल बन गया है। इसमें मतदान प्रतिशत बढ़ाना प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। बीते तीन लोकसभा चुनाव की बात करें तो सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर और नगीना में सबसे अधिक मतदान 2014 के चुनाव में हुआ था। तब ध्रुवीकरण का तापमान चरम पर था। इस चुनाव में सभी सीटें भाजपा ने जीतीं थीं।
वहीं, 2009 और 2019 में हुए चुनाव में मतदान प्रतिशत कम रहा। आंकड़े बताते हैं कि जब-जब मतों का प्रतिशत बढ़ा है, भाजपा को बड़ा फायदा हुआ है। कम वोटिंग होने से हमेशा विपक्ष खुशहाल रहा। 
सहारनपुर –
सहारनपुर में 2009 में 63.24 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। इस चुनसव में बसपा के जगदीश चंद्र राणा साढ़े तीन लाख वोट पाकर सांसद बने थे। दूसरे नंबर पर सपा के रशीद मसूद और तीसरे नंबर पर भाजपा के जसवंत सिंह सैनी थे। 2014 में मतदान 10 प्रतिशत बढ़ा और 74.82 प्रतिशत मतदान हुआ। इस चुनाव में भाजपा के राघव लखन पाल 4 लाख 72 हजार वोट पाकर सांसद बने जबकि इमरान मसूद को 4 लाख सात हजार वोट मिले थे। 2019 में मतदान का प्रतिशत गिरा तो भाजपा के राघव लखन पाल 23 हजार वोटों से हार गए। इस चुनाव में 70 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मतों का प्रयोग किया। राघव लखन पाल को इस चुनाव में 4 लाख 91 हजार वोट मिले जबकि बसपा के फजलुर्रहमान को 5 लाख 14 हजार वोट मिले थे।
इस बार सहारनपुर लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी
पार्टी ——— प्रत्याशी
भाजपा ——- राघव लखनपाल
कांग्रेस ——- इमरान मसूद
बसपा ——– माजिद अली
अखिल भारतीय परिवार पार्टी — मोहम्मद इनाम
ध्रुवीकरण पर टिका चुनाव
मुस्लिम बाहुल्य सीट मानी जाने वाली सहारनपुर लोकसभा का चुनाव हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की तरफ जाता दिखाई दे रहा है। जिस तरीके से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंदू बाहुल्य और कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में रोड शो निकाला, उससे समीकरण बदलते दिखाई दे रहे हैं। 2014 के चुनाव में भी यही स्थिति बनी थी। उस समय एक विवादित बयान ने चुनाव को हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण पर लाकर रख दिया था। सहारनपुर लोकसभा में 18 लाख 55 हजार 310 वोटर हैं। इसमें मुस्लिमों की संख्या करीब सात लाख और दलित करीब पौने चार लाख है। अभी तक अधिकतर चुनाव में मुस्लिम-दलित फैक्टर चलता रहा है, जिसकी तरफ इनका झुकाव रहा वह जीत की दहलीज तक पहुंचा। हालांकि अन्य बिरादरी का भी जीत में अहम योगदान रहता है। 2019 में बसपा-सपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी ने बाजी मारी थी। इसकी वजह थी कि बसपा प्रत्याशी मुस्लिम थे। उनके पास दलित और मुस्लिम दोनों वोटर थे। सपा-रालोद के साथ गठबंधन होने के चलते इसका भी लाभ मिला। भाजपा से राघव लखनपाल, कांग्रेस से इमरान मसूद और बसपा से माजिद अली प्रत्याशी हैं।
कैराना-
कैराना में 2009 में 56.56 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस चुनाव में बसपा प्रत्याशी के रूप में तबस्सुम हसन ने भाजपा के हुकुम सिंह को 22 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था। 2014 में चुनाव हुआ तो यहां मतों का प्रतिशत बढ़कर 73.64 हो गया। इसका असर यह हुआ कि भाजपा के हुकुम सिंह ने सवा दो लाख से अधिक मतों से विजय हासिल की। 2018 में हुकुम सिंह का निधन हो गया। मई 2018 में उपचुनाव हुआ तो सपा-रालोद मिलकर चुनाव लड़ी। बसपा ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा। रालोद के टिकट पर तबस्सुम हसन फिर मैदान में थीं। चुनाव में 55.56 प्रतिशत मतदान हुआ। तबस्सुम हसन ने भाजपा उम्मीदवार और हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को 44 हजार से अधिक मतों से पराजित कर दिया। 2019 में 67 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया। भाजपा ने प्रदीप चौधरी को मैदान में उतारा और समाजवादी पार्टी ने तबस्सुम हसन को प्रत्याशी बनाया। प्रदीप ने यह चुनाव 94 हजार वोटों से जीत लिया।
इस बार कैराना लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी
भाजपा – प्रदीप चौधरी
सपा-कांग्रेस गठबंधन – इकरा हसन
बसपा – श्रीपाल राणा
इस बार मतदाताओं का ब्योरा
कुल मतदाता 1722432
महिला मतदाता 800518
पुरुष मतदाता 9 21820
अन्य : 871
कैराना लोकसभा सीट पर 2019 का चुनाव परिणाम..
पार्टी प्रत्याशी वोट
बीजेपी प्रदीप चौधरी 566961
सपा तबस्सुम हसन 474801
कांग्रेस हरेंद्र मलिक 69355
कैराना लोकसभा में विस सीट
शामली, कैराना, थानाभवन, नकुड और गंगोह।
मतों के बंटवारे पर टिका जीत का गणित
कैराना लोकसभा सीट पर भाजपा के प्रदीप चौधरी, सपा की इकरा हसन, बसपा के श्रीपाल राणा के बीच त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं। इस सीट पर जातीय समीकरण हावी होता दिख रहा है। हालांकि, 6 निर्दलीय समेत इस सीट पर 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। अन्य प्रत्याशी भी प्रमुख दलों का खेल बिगाड़ सकते हैं । प्रत्येक प्रत्याशी का अपना-अपना गणित है। हालांकि मतदाता चुप्पी साधे हुए हैं। भाजपा यहां ध्रुवीकरण के आसरे जीत की उम्मीद लगाए है। सपा के पास मुस्लिम वोट बैंक है। इसके अलावा इकरा की जीत का सारा गणित बीजेपी के वोट में बिखराव पर निर्भर करता है।
मुजफ्फरनगर-
मुजफ्फरनगर में 2009 में 54.37 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस चुनाव में बसपा के कादिर राना ने रालोद की अनुराधा चौधरी को 21 हजार से अधिक मतों से हराया था। 2014 के चुनाव में यहां बंपर वोटिंग हुई 70.81 प्रतिशत मतदान हुआ। भाजपा के संजीव बालियान ने बसपा के कादिर राना को 4 लाख 22 हजार मतों से हराया था। 2019 में 2 प्रतिशत मतदान कम हुआ। 68.42 फीसदी मतदान हुआ। पिछला चुनाव चार लाख के अंतर से जीतने वाले संजीव बालियान को बहुत मुश्किल से 6 हजार वोटों से जीत नसीब हो सकी।
इस बार मुजफ्फरनगर लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी
भाजपा – संजीव बालियान
सपा – हरेंद्र मलिक
बसपा – दारा सिंह प्रजापति
चुनाव के चक्रव्यूह में त्रिकोणीय मुकाबला
मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट के लिए 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। मुख्य मुकाबला भाजपा के प्रत्याशी केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान, सपा प्रत्याशी हरेंद्र मलिक और बसपा प्रत्याशी दारा सिंह प्रजापति के बीच माना जा रहा है। सभी प्रत्याशी एक-दूसरे के वोट बैंक में सेंधमारी का प्रयास कर रहे हैं। मतदाताओं की चुप्पी से समीकरण और अधिक उलझते हुए नजर आ रहे हैं। चुनाव प्रचार के दौरान सभी प्रत्याशियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद यह तीसरा लोकसभा चुनाव है। वर्ष 2014 और 2019 में भाजपा के टिकट पर डॉ. संजीव बालियान ने जीत दर्ज की है। इस बार बालियान के लिए अपने ही चुनौती बन रहे हैं। राजपूतों के विरोध ने भाजपा को संकट में डाल दिया। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ठाकुर बाहुल्य इलाकों में सभाओं के बाद भाजपा खैमा इस वोट बैंक को अपने पाले में होने का दावा कर रहा है। असल तस्वीर आज नजर आएगी।
बिजनौर-
बिजनौर में भी 2009 में मतदान प्रतिशत कम रहा था। 54.96 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया था। इस चुनाव में रालोद के संजय सिंह चौहान ने बसपा के शाहिद सिद्दीकी को करीब 28 हजार वोटों से हराया था। 2014 के चुनाव में मतदान प्रतिशत 54.96 से बढ़कर 68 प्रतिशत हो गया। मतों का प्रतिशत बढ़ा तो भाजपा की जीत का रास्ता भी साफ हो गया। यहां से भाजपा के कुंवर भारतेंद्र ने सपा के शहनवाज राना को 2 लाख से अधिक मतों से पराजित किया। 2009 में तस्वीर फिर बदल 66 प्रतिशत मतदान हुआ और बसपा के मलूक नागर ने भाजपा के भारतेंद्र को करीब 70 हजार वोटों से हरा दिया। इस चुनाव में न तो भारतेंद्र हैं और न ही मलूक नागर। ऐसे में यहां चुनाव दिलचस्प होगा।
इस बार बिजनौर लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी
भाजपा-रालोद गठबंधन – चंदन चौहान
सपा-कांग्रेस गठबंधन – दीपक
बसपा – विजेंद्र सिंह
बिजनौर लोकसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय
आखिरी दिन आते आते जहां सपा के काडर वोट मुस्लिमों में बसपा की सेंधमारी नजर आ रही है। वहीं भाजपा-रालोद के काडर वोट सैनी मतदाताओं में सपा की सेंध दिख रही है। यहां मुकाबला किसी के लिए आसान नहीं है। रालोद जहां भाजपा और अपनी पार्टी के काडर वोट के भरोसे चुनावी मैदान में है। वहीं सपा मुस्लिमों के साथ-साथ सैनी मतदाताओं को जोड़कर जीत का समीकरण बनाने में लगी है। बसपा भी दलित और मुस्लिमों को अपने पाले में आने का दावा करते दिख रही है। हालात विधानसभावार अलग-अलग हैं। बिजनौर और चांदपुर में मुस्लिमों में बिखराव कम दिख रहा है। वहीं हस्तिनापुर, मीरापुर और पुरकाजी विधानसभा क्षेत्र में यह बिखराव बढ़ा है। यहां सपा से दीपक सैनी, बसपा से बिजेंद्र सिंह और भाजपा-रालोद गठबंधन से चंदन चौहान मैदान में हैं।
नगीना-
नगीना इकलौती लोकसभा क्षेत्र है जहां 2014 के मुकाबले 2019 में मत प्रतिशत बढ़ने के बावजूद बसपा ने जीत हासिल की थी। 2009 में इस सीट पर 53.79 प्रतिशत वोटिंग हुई। इस चुनाव में सपा के यशवीर सिंह ने बसपा के राम किशुन को 59 हजार वोटों से हराया था। 2014 में 60.88 प्रतिशत वोटिंग हुई। इस चुनाव में भाजपा के यशवंत सिंह ने सपा के यशवीर सिंह को 92 हजार वोटों से हराया था। 2019 में 63.66 प्रतिशत वोटिंग हुई और बसपा के गिरीश चंद्र ने भाजपा के यशवंत सिंह को 1 लाख 67 हजार वोटों से हराया था।
इस बार नगीना लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी
भाजपा – ओम कुमार
सपा – मनोज कुमार
बसपा – सुरेंद्र पाल सिंह
नगीना में चतुष्कोणीय मुकाबला, बिगड़े सभी के समीकरण
आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद द्वारा चुनावी मैदान में खुद उतर जाने से प्रदेश की चुनिंदा हॉट सीट में शुमार हुई नगीना सीट के राजनीतिक समीकरण पूरी तरह गड़बड़ा गए हैं। मुस्लिम- दलित बाहुल्य नगीना लोकसभा सीट पर इन दोनों वर्गों के रुख पर ही चुनावी परिणाम की हार-जीत का फैसला होता रहा है। इस बार के चुनाव में मुस्लिम व दलित वोटो में जमकर मारा -मारी व सेंधमारी होती दिखाई दे रही है। चुनाव में मुस्लिम व दलित मतदाता किसके पक्ष में जाएगा, इस पर दोनों वर्गों के अधिकतर मतदाताओं ने खामोशी अख्तियार कर रखी है। लेकिन आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने सपा- बसपा के मूल वोट बैंक में सेंधमारी करने व सपा और बसपा ने अपने मूल वोट बैंक को एकजुट रखने में पूरी ताकत लगा रखी है। उधर भाजपा भी मुस्लिम महिलाओं व दलित वोटो में सेंधमारी करने के प्रयास में लगी हैं। मतदान के दिन इन दोनों वर्गों का मूड ही चुनावी परिणाम तय करेगा। आखिर इन दोनो वर्गों के वोटो का बिखराव होगा या यह एकजुटता के साथ किसी एक पार्टी के पक्ष में चले जाएंगे, यही चुनाव परिणाम तय करेगा। यहां भाजपा से ओमकुमार, सपा से मनोज कुमार, बसपा से सुरेंद्र पाल सिंह और असपा से चंद्रशेखर प्रत्याशी हैं।
(मेरठ से सैयद यासिर रजा, मुजफ्फरनगर मदन बालियान, सहारनपुर विनीत तोमर, शामली महबूब अली, बिजनौर रजनीश त्यागी का इनपुट)
इस बार मुरादाबाद लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी
भाजपा – सर्वेश सिंह
सपा – रूचि वीरा
बसपा – मोहम्मद इरफान
इस बार रामपुर लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी
भाजपा – घनश्याम लोधी
सपा – मोहिब्बुल्लाह
बसपा – जीशान खां
इस बार पीलीभीत लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी
भाजपा – जितिन प्रसाद
सपा – भगवत सरन गंगवार
बसपा – अनीस अहमद खां
प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी नवदीप रिणवा ने रिणवा ने यहां प्रदेश में पहले चरण में मतदान की तैयारियों की जानकारी दी। शुक्रवार को सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना (अजा), मुरादाबाद, रामपुर और पीलीभीत में सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक मतदान होगा। शाम छह बजे लाइन में लगे सभी मतदाताओं को वोट डालने दिया जाएगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button