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आजमगढ़: नवनिर्मित विश्वविद्यालय का प्रथम दीक्षांत समारोह भव्य रूप से हुआ संपन्न

महामहिम राज्यपाल/कुलाधिपति के हाथों पुरस्कार प्राप्त कर विश्वविद्यालय एवं आंगनबाडी के छात्र-छात्राओं के चेहरे खिले

आजमगढ़: कुलाधिपति एवं महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल द्वारा आमंत्रित सभी महानुभाव एवं कुलपति के साथ शोभा यात्रा प्रारम्भ कर महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय आजमगढ़ के प्रथम दीक्षांत समारोह का शुभारम्भ करने की घोषणा की गयी। इस अवसर पर राष्ट्रगीत के साथ ही छात्र-छात्राओं द्वारा पर्यावरण संरक्षण पर आधारित गीत व विश्वविद्यालय के कुलगीत की प्रस्तुति की गयी।

मा0 कुलाधिपति एवं महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल द्वारा प्रथम दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि आजमगढ़ की भूमि गौरवशाली एवं पवित्र है। उन्होने दुर्वासा, दत्तात्रेय आदि ऋषियों को नमन किया। महामहिम राज्यपाल ने महाराजा सुहेलदेव को स्मरण करते हुए उन्हें भी नमन किया। उन्होने कहा कि आज छात्र-छात्राओं जो मेडल मिला है, उसमें 75 प्रतिशत छात्राएं हैं। एक समय था जब बेटियों को पढ़ने के लिए परिश्रम करना पड़ता था, इसमें आज भी बहुत सुधार नहीं हुआ है, आज बेटियां अपनी मेहनत से बहुत आगे बढ़ रही हैं। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री जी द्वारा दी जा धनराशि का सर्वे में पता चला है कि बेटियों को लाभ नहीं मिलता है। बेटियां मां को प्यारी हों, यह बदलाव लाना है, संस्कार देने वाली मां जब बेटी की इज्जत नहीं करेगी, तो वह कैसे आगे बढ़ेगी, यह विकसित भारत है, इसलिए हर बच्चे का अधिकार पढ़ना एवं स्वस्थ जीवनयापन करना है। उन्होने कहा कि बेटा एवं बेटियां परिवार के लिए एक समान होना चाहिए, उनमें भेद-भाव न करें। आज कल के अभिभावक लड़कियों की अपेक्षा लड़कों को अच्छी सुविधा दे रहे हैं, और अच्छे स्कूलों में पढ़ा रहे हैं, जो एक चिंता का विषय है, लड़कियों को भी लड़कों के समान शिक्षा दें। हर बच्चे का अधिकार जीवित रहना एवं शिक्षा ग्रहण करना है। उन्होने अधिकारियों से कहा कि टीबी से ग्रसित बच्चों को भी गोद लिया जाए। इसी के साथ ही उन्होने मेडल प्राप्त छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि स्वयं को काम करना होगा, तभी आप अपने लक्ष्य को हासिल कर पायेंगे। भविष्य में आप जब तक जीयें, तब तक कोई भी ऐसा काम न करें, जिससे आपके मेडल पर प्रश्न चिन्ह लगे। सहनशीलता के प्रेरणाश्रोत बनें, आप समाज में ऐसा काम करें, जिससे कि आपसे दूसरे लोग प्रेरणा लें। उन्होने कहा कि मा0 प्रधानमंत्री जी ने मुद्रा लोन को दोगुना करके अब 20 लाख रू0 कर दिया है। उन्होने कहा कि युवा वर्ग नौकरियों पर आश्रित न रहकर ऋण लेकर अपना रोजगार प्रारम्भ करें एवं अन्य व्यक्तियों को भी रोजगार से जोड़ें।
महामहिम राज्यपाल ने कहा कि आज बड़ी-बड़ी कम्पनियां छात्र-छात्राओं की अपने यहां इन्टर्नशिप कराकर नौकरियों दे रही हैं, इसलिए विश्वविद्यालय भी बड़ी-बड़ी कम्पनियों से सम्पर्क कर छात्र-छात्राओं का इन्टर्नशिप करायें। उन्होने अधिकारियों से कहा कि जिन बच्चों की उम्र 03 वर्ष से अधिक हो गयी है, उन बच्चों का नामांकन आंगनवाड़ी केन्द्रों में अवश्य कराया जाय।
महामहिम राज्यपाल ने वर्ष 2023-24 हेतु कला वर्ग के एमए/बीए, विज्ञान वर्ग के एमएससी/बीएससी, वाणिज्य वर्ग के एमकॉम/बीकॉम/बीबीए, लॉ के एलएलएम/एलएलबी, शिक्षा के एमएड/बीएड/बीपीएड, कृषि के एमएससी एजी के कुल 83 छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल दिया, जिसमें 18 कुलाधिपति सम्मान और 65 कुलपति सम्मान, गोल्ड मेडल पाने वालों में 17 छात्र और 66 छात्रायें, कुलगीत लिखने वाले प्रोफेसर श्री जगदम्बा दूबे जी को महाहिम ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। साथ ही आंगनबाडी के 24 बच्चे, 5 प्रधानाध्यापक, 8 अध्यापक को प्रशस्ति पत्र एवं किट देकर कुलाधिपति ने सम्मानित किया। मऊ जनपद से पधारे 5 किट धारकों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
कुलगीत के रचनाकार को प्रशस्ति पत्र प्रदान करने के उपरांत माननीय कुलाधिपति द्वारा डिजीलॉकर अंक पत्र एवं उपाधि का समावेशीकरण करते हुए रजिस्टर पर हस्ताक्षर किया गया। सबसे खूबसूरत पल उस समय दिखा जब आंगनवाड़ी, प्राइमरी स्कूल, कंपोजिट विद्यालय एवं जूनियर हाई स्कूल के बच्चों को महामहिम ने किट व प्रशस्ति पत्र के साथ-साथ प्यार एवं दुलार दिया।
पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राघवेंद्र तिवारी मुख्य अतिथि ने अपने गरिमामयी उद्बोधन में विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि बनाने के लिए कुलपति जी के साथ-साथ विश्वविद्यालय परिवार के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मैं इस निमंत्रण से वास्तव में अभिभूत हूं, जहां तक शिक्षा एवं ज्ञान विज्ञान का प्रश्न है, वह मनुष्य की चेतना को जागृत एवं चिंतनशील बनाए तथा उसे सत्य की खोज एवं न्याय की रक्षा के लिए प्रेरित करें। शिक्षा तभी सार्थक होती है, जब हम मानवता के कल्याण हेतु उसके सृजनात्मक भूमिका को पहचान सके। उन्होंने कहा ज्ञान रूपी महासागर में हम कितना ही गोते लगा लें, वह पूर्ण नहीं हो सकती। राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने की महती आवश्यकता तथा उन्होंने इसमें सुधार की गुंजाइश को सदैव बनाए रखने को भी स्वीकार किया। उन्होने प्रकृति केंद्रित विकास ही समय की आवश्यकता बताया तथा दीक्षांत का अवार्ड लेकर कर्म योग की दुनिया में प्रवेश करने का आर्शीवचन दिया तथा छात्र छात्राओं को राष्ट्र के प्रति अपना सर्वस्व न्योछावर करने का आवाहन करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
अति विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री योगेंद्र उपाध्याय जी उच्च शिक्षा मंत्री प्रदेश सरकार ने प्रथम दीक्षांत की बधाई देते हुए विश्वविद्यालय के शिलान्यास से लेकर उसकी प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए जनपद के ख्याति साहित्यकारों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के प्रति अपने विचार का उल्लेख करते हुए कुलाधिपति जी को अवगत कराया कि 83 गोल्ड मेडल में 75 प्रतिशत बेटियां हैं। अंत में उन्होंने उपाधि प्राप्त छात्रों को बधाई एवं शुभकामना दी।
विशिष्ट अतिथि के रूप में राज्य मंत्री श्रीमती रजनी तिवारी ने विश्वविद्यालय को प्रथम दीक्षांत की बधाई देते हुए बेटियों के प्रति एवं प्रधानमंत्री जी की महत्वाकांक्षी योजना बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को धरातल पर उतराने वाले विश्वविद्यालय के कुलपति एवं सभी प्राध्यापकों के प्रति आभार व्यापित किया। साथ यह उम्मीद भी जताई कि विश्वविद्यालय एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगा।
कुलसचिव ने सबके प्रति आभार व्यक्त किया। महामहिम ने दीक्षांत समारोह के अंत की घोषणा की।
कार्यक्रम में जिलाधिकारी श्री नवनीत सिंह चहल, पुलिस अधीक्षक श्री हेमराज मीना, मुख्य विकास अधिकारी आजमगढ़ व मऊ, अपर जिलाधिकारी प्रशासन श्री राहुल विश्वकर्मा, मुख्य राजस्व अधिकारी श्री विनय कुमार गुप्ता, प्रो0 गीता सिंह, डॉ प्रवेश सिंह, लेफ्टिनेंट डॉ० पंकज सिंह, डॉ० पी० सी० श्रीवास्तव, डॉ० अरुण सिंह, डॉ० राजेश यादव, ले० चंदन कुमार, श्री अवनीश राय, श्री दुर्गेश सिंह तथा डॉ धर्मेंद्र प्रताप यादव के साथ-साथ विश्वविद्यालय तथा संबद्ध महाविद्यालयों के शिक्षक शिक्षिकाएँ उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर ईश्वर चंद्र त्रिपाठी एवं अनुभा श्रीवास्तव ने किया।

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