झांसी के जाने माने गणितज्ञ प्रोफेसर राधाचरण गुप्त को पद्मश्री से अलंकृत किया गया। देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राधाचरण गुप्त को पद्मश्री से अलंकृत किया। राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला सहित कई मंत्रियों और महत्वपूर्ण लोगों की मौजूदगी में राधाचरण गुप्त को पद्मश्री पुरस्कार से अलंकृत किया गया। 26 जनवरी को भारत सरकार ने राधाचरण गुप्त द्वारा शिक्षा और साहित्य क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान देने के लिए पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की थी।
प्रोफेसर राधाचरण गुप्त का जन्म वर्ष 1935 में झांसी में हुआ था। उन्होंने वर्ष 1971 में रांची विश्वविद्यालय से गणित के इतिहास में पीएचडी की डिग्री हासिल की। वर्ष 1991 में उन्हें नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज का फेलो चुना गया। वर्ष 2009 में उन्हें गणित के इतिहास के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठित सम्मान केनेथ ओमे से सम्मानित किया गया। राधाचरण गुप्त ने गणित और गणित के इतिहास पर लंबा काम किया है. वह अभी तक 400 से अधिक शोध पत्रों और 80 पुस्तकों का लेखन कर चुके हैं। गणित के इतिहास पर उनके द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्य को सम्मानित करते हुए आईआईटी बॉम्बे ने उनका 80वां जन्मदिन अपने कैंपस में मनाया था। उन्हें झांसी का रामानुजम भी कहा जाता है.
आईआईटी बॉम्बे द्वारा उनके चुनिंदा शोध पत्रों को एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया है। इस पुस्तक को गणितानंद नाम दिया गया है. वैदिक गणित पर आधारित यह पुस्तक काफी चर्चा में बनी हुई है. इसके साथ ही उनके काम को आईआईटी गांधीनगर द्वारा डिजिटलाइज करके संग्रहित किया जा रहा है. राधाचरण गुप्त झांसी की रसबहार कॉलोनी में अपनी पत्नी के साथ सादगीपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
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