हाईकोर्ट की एकल पीठ ने एक नवंबर 2018 को भर्ती पर रोक वाले राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया। इसके बाद सरकार ने भर्ती शुरू करने की अनुमति दी।
प्राथमिक स्कूलों में 2016 में हुई 12460 सहायक शिक्षकों की भर्ती में से बचे 6470 चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। इस भर्ती में 51 जिलों के 6470 चयनितों को नियुक्ति पत्र दिए गए थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 2016 की सहायक शिक्षक भर्ती मामले में कहा कि संबंधित प्राधिकारी, एनसीटीई की अधिसूचना और 26 दिसंबर 2016 के सर्कुलर के तहत संबंधित जिलों के सभी पात्र सहायक शिक्षकों की कॉमन मेरिट सूची तीन माह में तैयार कर सभी पदों को भरने का निर्णय लें।
न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ल की खंडपीठ ने यह फैसला राज्य सरकार व कई अभ्यर्थियों द्वारा दाखिल 19 विशेष अपीलों को निस्तारित कर सुनाया। कुछ अपीलों में एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी गई थी।
दरअसल, वर्ष 2016 में शुरू हुई इस भर्ती में 75 में से 24 जिलों में एक भी पद खाली नहीं था। इन शून्य खाली पदों वाले जिलों के अभ्यर्थियों को किसी अन्य जिले में आवेदन करने की छूट दी गई थी। मार्च 2017 में पहली काउंसिलिंग हुई, लेकिन उसी समय प्रदेश में सरकार बदल जाने के बाद नई सरकार ने 23 मार्च 2017 को भर्ती पर रोक लगा दी थी। इस पर कुछ अभ्यर्थी कोर्ट चले गए।
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने एक नवंबर 2018 को भर्ती पर रोक वाले राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया। इसके बाद सरकार ने भर्ती शुरू करने की अनुमति दी। सभी अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग भी कराई गई। 51 जिलों के 6470 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिए गए, लेकिन बाकी चयनितों की नियुक्ति नहीं हो पाई। इनमें से कुछ अभ्यर्थियों व राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश को चुनौती देते हुए 19 अपीलें दाखिल की थीं। अब हाईकोर्ट के फैसले व आदेश के बाद शून्य खाली पदों वाले जिले के चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है।
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