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छह दिनों का होगा दीपावली का उत्सव, आज धनतेरस से होगी शुरुआत

ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, दिवाली के दिन महालक्ष्मी के साथ-साथ महासरस्वती और महाकाली की भी पूजा की जाती है। व्यवसायी दिवाली से नववर्ष का आरंभ मानते हैं, इसलिए इस दिन नए बही खातों का पूजन, तुला (तराजू) तिजोरी, व्यवसाय स्थान पर प्रयुक्त मशीनरी आदि का पूजन किया जाता है।
दीपावली महापर्व इस बाद छह दिनों का होगा। शुभ संयोगों के बीच इसकी शुरुआत शुक्रवार को धनतेरस से हो रही है। शनिवार को नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली), रविवार को दिवाली, सोमवार को स्नान-दान की अमावस्या, मंगलवार को अन्नकूट व गोवर्धन पूजा बुधवार को यम द्वितीया, भैया दूज और चित्रगुप्त पूजा का आयोजन किया जाएगा।
धनतेरस
धनतेरस 10 नवंबर को है। इस दिन कार्तिक कृष्ण द्वादशी का मान दिन में 11 बजकर 47 मिनट तक पश्चात त्रयोदशी तिथि है। इस दिन हस्त नक्षत्र संपूर्ण दिन और रात्रि 12 बजकर 22 मिनट तक है। अमृत नामक औदायिक योग भी है। अमृत योग होने से यह दिन खरीदारी के लिए उत्तम और श्रेष्ठ रहेगा।
पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार, इस दिन धनतेरस के साथ ही धन्वंतरि जयंती भी मनाई जाती है। इस दिन धन के स्वामी कुबेर की पूजा भी होती है। इस दिन धातु के बने बर्तनों को खरीदना आगामी वर्ष के लिए समृद्धिदायक माना जाता है। धनतेरस के दिन शाम को यम के निमित्त दीपदान होता है। ऐसा करने से आने वाले वर्ष में घर में अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।
नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली)
छोटी दीपावली 11 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन त्रयोदशी तिथि का मान दिन में एक बजकर 14 मिनट तक, पश्चात कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी और चित्रा नक्षत्र संपूर्ण दिन और रात को दो बजकर छह मिनट तक है।, अनन्तर स्वाती नक्षत्र और काण नामक औदायिक योग भी है।
पंडित बृजेश पांडेय के अनुसार, इस दिन के सूर्योदय से पूर्व तेल और उबटन लगाकर स्नान करने का विधान है। इस दिन स्नान से जहां सौंदर्य की प्राप्ति होती है वहीं शरीर में दिव्य शक्ति का संचार होता है और कई प्रकार के रोगों से छुटकारा भी मिलता है। वहीं शाम को दीये जलाकर छोटी दीपावली मनाई जाती है।
दीपावली
दीपावली 12 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन चतुर्दशी तिथि का मान अपराह्न दो बजकर 12 मिनट तक, पश्चात अमावस्या तिथि है। इस दिन प्रदोष काल और अर्धरात्रि में अमावस्या होने से दिवाली इसी दिन मनाई जाएगी।
ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, दिवाली के दिन महालक्ष्मी के साथ-साथ महासरस्वती और महाकाली की भी पूजा की जाती है। व्यवसायी दिवाली से नववर्ष का आरंभ मानते हैं, इसलिए इस दिन नए बही खातों का पूजन, तुला (तराजू) तिजोरी, व्यवसाय स्थान पर प्रयुक्त मशीनरी आदि का पूजन किया जाता है।
अन्नकूट और गोवर्धन पूजा
अन्नकूट व गोवर्धन पूजा 14 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा का मान दिन में दो बजकर 37 मिनट तक, पश्चात द्वितीया तिथि, अनुराधा नक्षत्र और शोभन नामक योग है । पंडित राकेश पांडेय के अनुसार, इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। खरीफ फसल के लिए नए अन्न एवं शाक सब्जियों को पहली बार इस मौसम में अन्नकूट के रूप में बनाने का प्रचलन है। अन्नकूट बनाकर भगवान विष्णु का भोग लगाया जाता है। इसके पश्चात प्रसाद वितरण किया जाता है।
यम द्वितीया, भैया दूज व चित्रगुप्त पूजा
यम द्वितीया, भैया दूज और चित्रगुप्त पूजा 15 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया का मान दिन में दो बजकर चार मिनट तक है। ज्येष्ठा नक्षत्र संपूर्ण दिन,अतिगंड योग और ध्वांक्ष नामक औदायिक योग है। ज्योतिषाचार्य ज्योतिषाचार्य मनीष मोहन के अनुसार, इस दिन भाई अपने बहन के घर जाता है और उसके हाथ का भोजन करता है। बहन भाई का तिलक कर उसकी दीर्घायु की कामना करती है। इस दिन कायस्थ समाज के लोग भगवान चित्रगुप्त की पूजा भी करते हैं।
दो दिन करें धनतेरस पर खरीदारी
धनतेरस पर खरीदारी के लिए 10 से 11 नवंबर को दोपहर एक बजकर 14 मिनट तक है। क्योंकि, त्रयोदशी तिथि का मान 11 नवंबर को दिन में 1 बजकर 14 मिनट तक है। ऐसे में दोनों ही दिन धनतेरस की खरीदारी की जा सकती है।

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