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बसपा के वोट बैंक को तोड़ने की बनाई नई रणनीति- भाजपा

भाजपा लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सामाजिक समरसता को इसलिए आगे बढ़ा रही है, ताकि गरीब और कमजोर वर्गों के लोगों के बीच जातीय भेदभाव को लेकर बनी हीन भावना को हमेशा के लिए खत्म किया जा सके। क्षेत्रवार अनुसूचित जाति सम्मेलनों के साथ ही गांवों में समरसता अभियान और इस वर्ग के उत्थान की योजनाएं इसी रणनीति का हिस्सा हैं।
भाजपा लोकसभा चुनाव में यूपी फतह के लिए पंच प्रण के सिद्धांत को आगे बढ़ा रही है। इसमें सामाजिक समरसता जातिगत समीकरणों को साधने के लिए सबसे अहम एजेंडे के रूप में सामने है। कहा जा रहा है कि समरसता के जरिये फिलहाल पार्टी की नजर बसपा के वोट बैंक पर है। इसके लिए अनुसूचित जाति मोर्चा के नेताओं के साथ पार्टी के पदाधिकारी गांवों में कैंप कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ के कामों को गिना रहे हैं।
इसके साथ ही बाबा साहेब के आदर्शों का भी बखान किया जा रहा है, ताकि अलग-अलग दलों में बिखरीं अनुसूचित जातियों को भाजपा के साथ एकजुट किया जा सके। भाजपा लोस चुनाव के मद्देनजर सामाजिक समरसता को इसलिए आगे बढ़ा रही है, ताकि गरीब और कमजोर वर्गों के लोगों के बीच जातीय भेदभाव को लेकर बनी हीन भावना को हमेशा के लिए खत्म किया जा सके। क्षेत्रवार अनुसूचित जाति सम्मेलनों के साथ ही गांवों में समरसता अभियान और इस वर्ग के उत्थान की योजनाएं इसी रणनीति का हिस्सा हैं।
सीएम योगी ने सोरांव में दिया था साफ संकेत
हाल के दिनों में सोरांव में अनुसूचित जाति सम्मेलन के जरिये भाजपा ने दलितों को साफ तौर पर संदेश देने की कोशिश की है कि वह उन्हें राशन की डबल डोज ही नहीं पूरा मान-सम्मान भी दिलाएगी। इसी आधार पर भाजपा अब दलित वोटरों के अपने साथ होने का दावा करने लगी है। पार्टी नेताओं का दावा है कि अब तक केंद्र सरकार की जितनी भी योजनाएं रही हैं, उनसे सबसे ज्यादा फायदा इसी वर्ग के लोगों को पहुंचा है। इसलिए दलित वोटर उनके साथ मजबूती से खड़े हैं।
हालांकि, पिछले चुनावों में इसका असर भी देखने को मिला था, जब सपा-बसपा के गठबंधन के बावजूद भाजपा ऐसी जगहों पर भी जीत हासिल करने में कामयाब रही जहां दलित मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। आंकड़ों पर नजर डालें तो यूपी में सबसे ज्यादा 50 प्रतिशत आबादी ओबीसी वर्ग की है तो वहीं दलित वर्ग की करीब 22 प्रतिशत तक हिस्सेदारी है। दलित और पिछड़ा फॉर्मूले के सहारे ही भाजपा विरोधियों को पूरी तरह धूल चटाने का दावा कर रही है।
अनुसूचित जाति के लोगों के यहां बनाई जा रही पैठ
गरीबों का दिल जीतने के लिए इस बार कई गांवों में दिवाली भी अनुसूचित जाति के परिवारों के बीच मनाई गई। अनुसूचित मोर्चा के नेताओं के साथ करछना, मेजा, कोरांव, बारा के गावों में समरसता अभियान के तहत कैंप किए जा रहे हैं। गंगा-यमुनापार में इस अभियान में जुटे भाजपा नेता हरिकृष्ण शुक्ल के मुताबिक अब तक दो सौ से अधिक गांवों में सामाजिक समरसता का संदेश पहुंचाया जा चुका है। वह कहते हैं कि सपा, बसपा और कांग्रेस ने सिर्फ अनुसूचित जातियों का वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया है।
चाहे राशन का डबल डोज हो या शहरी, ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए आवास योजनाएं, मोदी-योगी राज में अनुसूचित वर्ग के उत्थान को ध्यान में रखकर योजनाएं बनाई जा रही हैं। समरसता अभियान को आगे बढ़ा रहे अनुसूचित जाति मोर्चा के जिलाध्यक्ष राजमणि पासवान, जिला उपाध्यक्ष रमेश पासी और मोर्चा के मांडा ब्लॉक के मंडल अध्यक्ष मिठाई लाल गौतम कहते हैं कि अब अनुसूचित जातियों का हित सिर्फ भाजपा में ही सुरक्षित है। अभी तक वोट बैंक के नाम पर दूसरे दलों ने अनुसूचित जातियों को सिर्फ छला है।
”अनुसूचित जाति के लोग भाजपा को दे रहे हैं वोट’
भाजपा के रणनीतिकारों का कहना है कि पिछले कुछ चुनावों से अनुसूचित जाति के लोग भाजपा को वोट दे रहे हैं। प्रदेश भर में अनुसूचित जाति महासम्मेलन के लिए संयोजक बनाए गए समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण बार-बार यह कहते रहे हैं कि अब दलितों, वंचितों का हित भाजपा में ही सुरक्षित है। सूबे में खुद उनके समेत नौ मंत्री अनुसूचित जाति का ही प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उनका मानना है कि इस सरकार में जितना सम्मान अनुसूचित वर्ग को मिल रहा है, उतना पहले किसी भी सरकार में नहीं मिला था।
जयंती पर आज बिरसा मुंडा को नमन करेंगे भाजपाई
वंचितों-बेसहारों को राह दिखाने वाले महापुरुषों को नमन कर भाजपा अनुसूचित जातियों का दिल जीतेगी। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के आदर्शों का अनुसरण करने की सीख देने के साथ ही बिरसा मुंडा की जयंती पर भी बड़ा सम्मेलन होगा। इस सम्मेलन में भाजपा के प्रदेश संगठन के भी कई नेता हिस्सा लेंगे। 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती पर भाजपाई पृथ्वी गार्डन में एकजुट होंगे।

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