शाहजहांपुर में साझेदार से दो वाहनों पर कब्जे के विवाद में पुलिस के सुनवाई न करने से आहत ताहिर अली (40 वर्ष) ने एसपी दफ्तर के गेट पर खुद पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली थी। आनन-फानन उन्हें राजकीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। हालत गंभीर होने पर लखनऊ रेफर कर दिया गया। घटना की जांच एसपी सिटी को सौंपी गई है।
शाहजहांपुर में अपने वाहनों को छुड़ाने के लिए ताहिर अली लगातार पुलिस चौकी से लेकर थाने तक के चक्कर लगाते रहे, लेकिन पुलिस ने मदद करना तो दूर उल्टे यह कह दिया कि वाहन कोर्ट से छुड़वा लो। उन्होंने कोर्ट में अर्जी लगाई, लेकिन ऐन वक्त पर चौकी से दोनों वाहन गायब हो गए। लगातार की जा रही उपेक्षा से ताहिर मन ही मन सुलगते रहे और मंगलवार को एसपी दफ्तर पहुंचकर खुद को आग लगा ली।
एसपी कार्यालय में मंगलवार को सबकुछ सामान्य चल रहा था, लेकिन पूर्वाह्न करीब 11:58 बजे जैसे ही कांट थाना क्षेत्र के सेहरान गांव निवासी ताहिर अली ने खुद को आग लगाई, चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। गेट पर अमूमन सिपाही रहते हैं, लेकिन घटना के वक्त कोई मौजूद नहीं था। उसे पेट्रोल डालकर आग लगाते हुए लोग देखते रहे और बचाने के बजाय उसका वीडियो बनाते रहे। पुलिसकर्मियों ने बमुश्किल आग को बुझाया। पीआरओ कार्यालय के सिपाही हनुमंत व अमित के हाथ झुलस गए।
एसपी कार्यालय को सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है। मुख्य गेट पर सिपाही और होमगार्ड की ड्यूटी रहती है। इतनी सुरक्षा के बाद भी ताहिर ने मुख्य गेट पर जाकर अपने जूताें पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली और पुलिस रोक नहीं सकी। आग लगने के बाद शोर मचाते हुए सौ मीटर तक मुख्य कार्यालय की ओर भागा। लपटें उठती देखकर भगदड़ मच गई। उसके कपड़ों के आग पकड़ने पर बचाने के लिए चिल्लाता रहा और लोग वीडियो बनाते रहे।
आग का गोला बना ताहिर दर्द से कराहते हुए एसपी चैंबर के सामने तक गया और फिर बाहर आ गया। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने कंबल और अग्निशमन यंत्र का प्रयोग कर आग पर काबू पाया। एसपी सिटी संजय कुमार और एसपी देहात मनोज अवस्थी भी अपने चैंबर से बाहर निकल आए।
पति को लपटों से घिरा देख चिल्लाई महनाज
पति को आग की लपटों से घिरा देखकर पत्नी महनाज चिल्ला पड़ी। बेटी अलीशा भी लोगों से बचाने की गुहार लगाने लगी। छोटा बेटा मोहम्मद अहसन ने हाथ में पकड़ी बोतल के पानी से आग बुझाने का प्रयास किया, लेकिन लपटों के आगे वह नाकाफी साबित हुआ। आग बुझाने के बाद परिवार ने एसपी की कार के सामने बैठकर जमकर हंगामा किया। महिला सिपाहियों ने महनाज और उसकी बेटी को समझाने का प्रयास किया। इस बीच काफी भीड़ लग गई। काफी मशक्कत के बाद दोनों को अंदर ले जाकर बैठाया गया।
सुरक्षित होगा पहरा, कैमरे लगेंगे, भीड़ पर रोक लगेगी
पुलिस कार्यालय में ताहिर के आग लगाने से शासन तक खलबली मच गई। विपक्ष ने मुद्दा बनाते हुए ट्वीट कर सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया। इससे पहले भी कई घटनाएं हो चुकी हैं। कई बार लोग पेट्रोल लेकर पहुंचे, पर अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सके। पिछले वर्ष एक युवक ने कार्यालय परिसर में जहरीला पदार्थ खाकर जान देने की कोशिश की थी। पुलिस कार्यालय की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की योजना बनाई। एसपी सिटी संजय कुमार ने बताया कि दोनों गेटों पर कैमरे लगाएं जाएंगे, साथ ही अनधिकृत रूप से आने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
चला गया था मुंबई, पीछे से उठा लिए वाहन
ताहिर ने बताया गया कि 16 अक्तूबर को कागज दिखाने के बाद पुलिस ने दोनों वाहन उसे दिला दिए थे। रास्ते में उमेश ने ताहिर की पत्नी महनाज को घेरा और मारपीट करते हुए चाबी छीनने का प्रयास किया। पुलिस ने उसकी तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया था। इस बीच वह मुंबई चला गया। आरोप है कि राजनीतिक दबाव में इंस्पेक्टर रवींद्र सिंह के निर्देश पर चौकी इंचार्ज के साथ उमेश तिवारी ने घर में घुसकर तोड़फोड़ की और वाहनों को कैंट चौकी में खड़ा करवा दिया।
वाहन को वापस दिलाने को कई बार वह इंस्पेक्टर से मिला लेकिन उन्होंने न्यायालय से गाड़ियां रिलीज कराने के लिए कहा। ताहिर ने बताया कि कोर्ट में उसकी छह मार्च को तारीख लगी है। आरोप है कि तारीख आने से पहले ही शाहबाजनगर चौकी से वाहनों को हटा दिया गया।
बेटी बोली-पुलिस से त्रस्त थे, उमेश ने पिता को मार डाला
हादसे के बाद पुलिस दोनों को लेकर कार्यालय के अंदर गईं। जहां पर पत्नी महनाज व बेटी अलीशा बिलख पड़ी। बेटी बोली कि पुलिस उसकी सुन नहीं रही थी। वह कैंट चौकी व सदर थाने में कई बार गई। उसकी एक नहीं सुनी गई। बेटी अलीशा ने कहा कि उमेश तिवारी ने उनके पिता को मार डाला है। पुलिस के अनुसार, ताहिर की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके चलते वाहनदूसरे पक्ष की सुपुर्दगी में दे दिए गए थे।
दोस्त बन गए थे जान के दुश्मन
ताहिर अली कुछ समय पहले कांट में मिठाई की दुकान चलाते थे। फायदा न होने पर दुकान को बंद कर दिया। इसके बाद दो वाहनों को खरीदा था। चिनौर के उमेश तिवारी से दोस्ती होने की वजह से गाड़ियों का संचालन करना शुरू कर दिया था। सदर इंस्पेक्टर रवींद्र सिंह के अनुसार, वाहन ताहिर के नाम थे। उमेश ने वाहनों को खरीदकर रुपये दिए थे। फाइनेंस पर ली गाड़ी की किस्तें भी उमेश भर रहा था। रुपये लेने के बाद भी ताहिर ने उमेश के नाम वाहन नहीं किए थे। उसने वाहन पर कब्जा करने के लिए पुलिस को प्रार्थना पत्र दिया था।