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BJP सांसद को झेलना पड़ा वकीलों का विरोध

समर्थकों संग मारपीट, निरहुआ बोले- सपा के कुछ गुंडे यहां भी हैं

मंगलवार को भाजपा सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ को अधिवक्ताओं के साथ जनपद स्तरीय विधि सम्मेलन में भाग लेना था। सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ ने कहा कि यह अधिवक्ताओं का आपसी विवाद है। अगर किसी को विरोध करना है चुनाव में बटन दबाकर विरोध जताया जाता है।
लोकसभा चुनाव के प्रचार प्रसार के लिए भाजपा सांसद और प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ का मंगलवार को दीवानी आजमगढ़ न्यायालय सभागार में कार्यक्रम आयोजित था। जैसे ही सांसद दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सभागार की ओर बढ़े अधिवक्ताओं के एक धड़े ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया।
उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी शुरू कर दी। हालांकि इस दौरान सांसद ने सब्र का परिचय दिया और अधिवक्ताओं से अपनी बात कहकर ही बाहर निकले। इस दौरान अधिवक्ताओं द्वारा उनके समर्थकों संग हाथापाई भी की गई। 
बता दें कि भाजपा सांसद दिनेश लाल यादव ने बयान तो गाजीपुर जनपद में दिया, लेकिन इसका असर जनपद में देखने को मिल रहा है। मंगलवार को भाजपा सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ को अधिवक्ताओं के साथ जनपद स्तरीय विधि सम्मेलन में भाग लेना था।
निर्धारित समय पर भाजपा सांसद दीवानी न्यायालय परिसर में पहुंचे। उनके दीवानी न्यायालय परिसर में पहुंचते ही जहां कुछ अधिवक्ताओं ने उनके पक्ष तो कुछ ने विपक्ष में नारेबाजी करनी शुरू कर दी। धक्का-मुक्की के बीच सांसद दिनेश लाल यादव दीवानी सभागार में पहुंचे। यहां भी अधिवक्ताओं ने उनके खिलाफ नारेबाजी करना बंद नहीं किया।
सांसद ने दिखाया धैर्य
सांसद धैर्य से इस परिस्थिति में भी जमे रहे उन्होंने अधिवक्ताओं से अपनी बात कही। इसके बाद जब वह समर्थकों के साथ बाहर निकलने लगे तो उनके समर्थकों संग मारपीट भी की गई। एक अधिवक्ता ने कहा कि हम लोग काफी दिन तक हड़ताल पर रहे लेकिन कोई भी सांसद या कोई विधायक हमारी हालचाल लेने नहीं आयाअब चुनाव आया है तो यह लोग आने लगे हैं। जिसके चलते ही आज यह विरोध-प्रदर्शन किया गया है। 
इस संबंध में सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ ने कहा कि यह अधिवक्ताओं का आपसी विवाद है। अगर किसी को विरोध करना है चुनाव में बटन दबाकर विरोध जताया जाता है। सपा के बारे में दुनिया जानती है, जिस गाड़ी पे सपा का झंडा उसके अंदर मिलेगा गुंडा। सपा के कुछ गुंडे यहां भी हैं, अगर हैं तो अपना रंग दिखाएंगे। लेकिन उनको पता नहीं है कि यह जितना भी जो लगाएंगे इन भगोड़ा नेता यहां टिक नहीं पाएगा। एक भाई जीतकर भाग गया। 22 में एक हारकर भाग गया। इन भगोड़े भाइयों से आजमगढ़ को बचाना है।

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