आरोपियों ने बताया कि वे जरूरतमंदों की तलाश करते हैं। 10-15 हजार रुपये की नौकरी देने के बहाने ले जाते हैं। उनके दस्तावेज पर बैंक खाते खुलवाते हैं। इन खातों का एटीएम कार्ड, नेट बैंकिंग आईडी-पासवर्ड आदि खुद लेकर ऑपरेट करते हैं।
लखनऊ के पीजीआई की डॉक्टर रुचिका टंडन को डिजिटल अरेस्ट कर 2.81 करोड़ रुपये ऐंठने के मामले में साइबर क्राइम थाने की टीम ने बुधवार को दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। दोनों सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। मामले में अब तक 18 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। करीब 10 और आरोपी चिह्नित किए जा चुके हैं। पुलिस के साथ एसटीएफ की टीम भी धरपकड़ में लगी है।
साइबर क्राइम थाने के इंस्पेक्टर बृजेश कुमार यादव ने बताया कि सहारनपुर के तीतरों सलियर निवासी रॉबिन कुमार और संभल के नखासा के नितिन गुर्जर को गिरफ्तार किया गया है। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे जरूरतमंदों की तलाश करते हैं। 10-15 हजार रुपये की नौकरी देने के बहाने ले जाते हैं। उनके दस्तावेज पर बैंक खाते खुलवाते हैं। इन खातों का एटीएम कार्ड, नेट बैंकिंग आईडी-पासवर्ड आदि खुद लेकर ऑपरेट करते हैं। ठगी की रकम इन्हीं खातों में आती है। खातों से वह एप की मदद से क्रिप्टो में रकम कन्वर्ट कर सऊदी के खातों में ट्रांसफर करते हैं। ठगी के गिरोह में इनकी यही भूमिका रहती है।
दो खातों में 1.55 करोड़ किए थे ट्रांसफर
पुलिस की तफ्तीश में सामने आया कि आरोपियों ने एक कंपनी बनाई है। उसी में लोगों को काम देने का झांसा देकर एक जगह पर ले जाते हैं। इस मामले में गोंडा के दो युवकों को ले गए थे। दो महीने तक 15-15 हजार रुपये सैलरी दी। फिर काम मंदा होने की बात कह वापस भेज दिया। इन दोनाें युवकों के बैंक खातों में डॉक्टर से ठगी की कुल रकम में से 1.55 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए थे।
ये थी घटना: डॉ. रुचिका टंडन के पास एक अगस्त को जालसाज ने खुद को सीबीआई का अधिकारी बताकर कॉल की थी। उनके खिलाफ शिकायत मिलने की बात कहकर पांच दिनों तक उन्हें डिजिटल अरेस्ट किए रखा। इस दौरान उनसे 2 करोड़ 81 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए थे। 10 अगस्त को डॉ. रुचिका ने साइबर क्राइम थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी।
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