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जेल से मोबाइल पर गवाहों को धमकाने वाले गैर जनपद के लिए हुए स्थानांतरित

आजमगढ़। जिला कारागार में स्टाफ की कमी एवं विभागीय लापरवाही के चलते जेल में निरुद्ध कुख्यात बंदियों द्वारा मोबाइल फोन के माध्यम से अपना आपराधिक नेटवर्क संचालित किए जाने की बात अक्सर जेल की दीवारों से बाहर आ जाती है। बीते 14 नवंबर को हत्या के मामले में जिला कारागार में निरुद्ध दो बंदियों द्वारा मोबाइल फोन के माध्यम से गवाहों को धमकाने का आडियो वायरल होने के बाद यह मामला सुर्खियों में आया। प्रशासनिक स्तर पर इस मामले को संज्ञान में लेते हुए जेल प्रशासन की ओर से अवैध तरीके से मोबाइल फोन का संचालन कर रहे दो लोगों के खिलाफ सिधारी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गईघ्। साथ ही जिला प्रशासन द्वारा भेजी गई आख्या रिपोर्ट के आधार पर शासन के निर्देश पर चिन्हित किए गए बंदियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। इस मामले में चिन्हित किए गए हत्यारोपी अभियुक्त राजीव सिंह को मेरठ जिला कारागार स्थानांतरित कर दिया गया। अब इस मामले में चिन्हित किए गए दूसरे आरोपी राणाप्रताप सिंह को पीलीभीत जिला कारागार के लिए स्थानांतरित कर दिया गया। इस बात की पुष्टि जेलर विकास कटिहार ने शुक्रवार को की। गौरतलब है कि इसके पूर्व भी जेल में प्रशासनिक स्तर पर की गई छापेमारी के दौरान कई बार आपत्तिजनक वस्तुओं की बरामदगी की गई । बीते 26 जुलाई को जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज एवं पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य के नेतृत्व में जिला कारागार में की गई छापेमारी के दौरान जेल की बैरकों से दर्जनभर मोबाइल फोन, एलईडी टीवी के साथ ही भारी मात्रा में मादक पदार्थ बरामद किए गए थे। इस मामले में जिला प्रशासन की रिपोर्ट पर महानिरीक्षक जेल आनंद कुमार द्वारा की गई कार्रवाई में जेलर रविंद्र सरोज, डिप्टी जेलर श्रीधर यादव तथा बंदी रक्षक अजय वर्मा एवं आशुतोष सिंह को दोषी पाते हुए उन्हें निलंबित कर दिया गया। कुछ समय बाद इस मामले में जेल अधीक्षक के खिलाफ भी शासन स्तर पर निलंबन की कार्रवाई की गई थी। हालांकि जेल प्रशासन जेल में निरुद्ध बंदियों द्वारा मोबाइल फोन के इस्तेमाल की बात से हमेशा इंकार करता रहा लेकिन जब-तब जेल परिसर के निरीक्षण के दौरान आपत्तिजनक वस्तुओं का बरामद होना जेल अधिकारियों के दावे की पोल खोलता है।

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