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आजमगढ़: घाटकौली को लेकर ग्रामीणों ने कोटेदार के खिलाफ की शिकायत

आजमगढ़: जनपद के अतरौलिया राशन वितरण में धांधली का आरोप, गल्ला कम वितरण को लेकर ग्रामीणों ने लगाए गंभीर आरोप। बता दे कि क्षेत्र के अंचलीपुर ग्राम सभा में सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान जो धौरहरा ग्राम सभा से संचालित होती है इसे लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। ग्रामीणों का आरोप है कि कोटेदार द्वारा सभी कार्ड धारकों से गल्ला वितरण में गल्ले की कटौती की जाती है जिसे लेकर ग्रामीण आक्रोशित है। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि लाल कार्ड धारकों के भी गल्ले में कटौती की जाती है वही गल्ला वितरण में प्रत्येक कार्ड धारक से 1 से 2 किलो तक कटौती की जा रही है जो निरंतर काफी दिनों से चली आ रही। कुल मिलाकर पात्र गृहस्थी के 202 कार्डधारक व अंत्योदय कार्डधारकों की संख्या 19 है तथा 32 वर्षों से इस कोटे की दुकान का संचालन हो रहा है। अचलीपुर गांव की कार्डधारक फूला,गीता,कुसुम पांडेय,वेद प्रकाश पाण्डेय,शाहिद,राजेन्द्र मौर्य आदि दर्जनों लोगों का आरोप है कि प्रत्येक माह गल्ला वितरण के समय कोटेदार गल्ले में कटौती करता है विरोध करने पर कोटेदार द्वारा बताया जाता है कि हमें ऊपर से गल्ला कम मिलता है। ग्रामीणों का आरोप है कि पांच यूनिट पर 23 किलो, एक यूनिट पर 4 किलो की दर से गल्ला का वितरण किया जाता है जिसे लेकर ग्रामीणों द्वारा उच्च अधिकारियों से भी शिकायत की गई है। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि काफी दिनों से संचालित हो रहे गल्ले की दुकान पर बराबर राशन में कटौती की जाती है पूछने पर कोटेदार द्वारा गल्ला कम मिलने की बात कही जाती। कोटेदार संग्राम कुमार जायसवाल ने बताया कि मेरी दुकान से गल्ले का वितरण सही ढंग से किया जाता है अभी तक कोई शिकायत नहीं आई। गल्ले का खेप जब आता है तो बोरी का वजन नहीं काटा जाता जिसकी वजह से गल्ला कम मिलता है उसी हिसाब से वितरण किया जाता है। इस संदर्भ में पूर्ति निरीक्षक ने बताया कि किसी कोटेदार को गल्ला कम वितरण नहीं किया जाता, अगर ग्रामीणों की इस तरह की शिकायत है तो इसकी जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी। हालांकि संदर्भ में ग्रामीणों ने उप जिलाधिकारी के नाम एक ज्ञापन भी दिया है जिसमें बताया गया है कि गांव से कोटे की दुकान लगभग 3 किलोमीटर दूर है जहां जाने आने में लोगों को सुविधा होती है तथा कई बुजुर्ग लोग दुर्घटना में घायल भी हो जाते हैं जिसे देखते हुए कोटे की दुकान गांव में ही स्थापित की जाए।

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