वैदिक ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष व महामहोपाध्याय डा. आदित्य पांडेय के अनुसार एकादशी का मुहूर्त है- प्रातः 6.50 से 8.00 बजे तक और शाम को शाम 5.25 से 8.46 बजे तक है।
कार्तिक शुक्ल एकादशी बृहस्पतिवार को है, इसे देवउठनी एकादशी भी कहते हैं। मान्यता है कि क्षीर सागर में सोए भगवान विष्णु एकादशी को नींद से जागते हैं। इसी के बाद मांगलिक कामों की शुरुआत होती है। 23 नवंबर को एकादशी से शुभ काम शुरू हो जाएंगे। होटल व वेडिंग इंडस्ट्री से जुड़े लोगों कहना है कि 23 को तो छिटपुट ही विवाह हैं, लेकिन बड़ी लगन 27 नवंबर से शुरू हो रही है। 10 दिन गली-मोहल्ले, पार्क, लॉन, होटल और बैंक्वेट सभी फुल रहेंगे।
सारे होटल-लान और बैंक्वेट फुल
शहर में 100 के करीब थ्री स्टार से फाइव स्टार तक की कैटेगरी के होटल हैं। इनमें पांच सितारा होटलों की संख्या गिनी चुनी है। जबकि अयोध्या रोड पर एक लॉन ऐसा भी है, जहां 14 शादियां एक साथ हो सकती हैं। वहीं कुछ होटल ऐसे हैं, जहां एक दिन में कई शादियां एक साथ हो सकती हैं। दुबग्गा-हरदोई रोड, दुबग्गा जेहटा रोड, दुबग्गा कसमंडी रोड की बात करें यहां हर पांच से छह किलोमीटर की परिधि में लान की संख्या 25-30 के बीच है। इसी तरह माल-मलिहाबाद रोड पर चले जाएं तो यहां भी बड़ी संख्या में लॉन है। इसके अलावा सीतापुर रोड, सुल्तानपुर रोड, एयरपोर्ट के आसपास और कुर्सी रोड, रायबरेली रोड जैसे इलाकों में होटल व लॉन की भरमार है।
सहालग जबरदस्त, एक दिन में 4 से 5 हजार शादियां
होटल कारोबारी व उत्तर प्रदेश होटल एसोसिएशन के श्याम कृष्णानी कहते हैं कि दस से 12 दिन की सहालग है, इसमें शादियां जबरदस्त हैं। वहीं वेडिंग प्लानर अंकुर गर्ग व हामिद हुसैन कहते हैं कि मुस्लिम शादियां तो अक्तूबर से ही शुरू हो गई थीं। एकादशी के बाद से शुरु हुई सहालग में एक दिन में 4 से 5 हजार शादियां कहीं नहीं गईं। यानी दिसंबर में खरमास से पहले 30 हजार से अधिक शादियां अनुमानित हैं।
एकादशी पूजन मुहूर्त जानिए
वैदिक ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष व महामहोपाध्याय डा. आदित्य पांडेय के अनुसार एकादशी का मुहूर्त है- प्रातः 6.50 से 8.00 बजे तक और शाम को शाम 5.25 से 8.46 बजे तक है। भगवान को गन्ना, सिंघाड़ा, लड्डू, फल अर्पित किया जाता है, गन्ने का मंडप बनाकर शालिग्राम व तुलसी जी को उसके नीचे रखा जाता है। ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल और पंडित धीरेन्द्र पांडेय के मुताबिक नवम्बर में खास मुहूर्त 27, 28,29 को हैं। दिसंबर में यह मुर्हूत 3, 4, 5, 6, 7, 8 ,9,13,14 ,15 तारीखों में हैं।
ऐसे की जाती है पूजा देवउठावनी एकादशी की पूजा
देवउठावनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु जी की पूजा करके व्रत का संकल्प लें।
श्री हरि की प्रतिमा या शालिग्राम जी के समक्ष उनके जागने का आह्वान करें।
सायं काल में मंदिर में 11 दीये देवी-देवताओं के समक्ष प्रज्ज्वलित करें।
यदि संभव हो तो गन्ने का मंडप बनाकर बीच में विष्णु जी की मूर्ति या शालिग्राम जी को रखें।
भगवान श्री हरि को गन्ना, सिंघाड़ा, लड्डू, मिष्ठान , फल अर्पित करें।
एकादशी की रात्रि में एक घी का दीपक मंदिर में रखें।
अगले दिन हरि व्रत का पारण अवश्य करें।
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