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श्रीराम के ससुराल, नेपाल से पहुंचा 16 पवित्र नदियों का जल, होगा अभिषेक

राजभर ने कहा कि सुभासपा द्वारा जनवरी में एक बड़ी रैली प्रस्तावित है, उसमें आने के लिए नड्डा को आमंत्रण दिया है। इसके अलावा भाजपा अध्यक्ष से भर- राजभर जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल किये जाने के लिए प्रस्ताव को यूपी सरकार से मंगाने के बारे में भी चर्चा हुई है।
प्रभु श्रीराम की ससुराल नेपाल से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पवित्र नदियों का जल शुक्रवार की देर रात अयोध्या पहुंचा। कारसेवकपुरम में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने जल भरे कलश की आरती व पूजा की। नेपाल की बागमती, नारायणी, गंगा सागर, दूधमति, काली, गंडकी, कोशी, कमला सहित 16 नदियों का जल आया है। नदियों के पवित्र जल को नेपाल के विश्व हिंदू परिषद की ओर से जनकपुर से अयोध्या लाया गया है। विहिप नेपाल के महामंत्री जितेंद्र ने बताया कि हिन्दू राष्ट्र नेपाल की नदियों के पवित्र जल को जनक जननी माता सीता के जनकपुर में संग्रह किया गया। इसके बाद 27 दिसंबर को इसे लेकर यात्रा के रूप में निकले। रास्ते में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने स्वागत किया। इस जल से प्राण प्रतिष्ठा समारोह में रामलला का अभिषेक किया जाएगा।
अचल मूर्ति के लिए मंगाए गए थे 12 पत्थर
रामलला की अचल मूर्ति निर्माण के लिए नेपाल की गंडकी नदी समेत कर्नाटक, राजस्थान व उड़ीसा के उच्च गुणवत्ता वाले 12 पत्थर ट्रस्ट ने मंगाए थे। इन सभी पत्थरों को परखा गया तो राजस्थान व कर्नाटक की शिला ही मूर्ति निर्माण के लायक मिली। देश के तीन प्रसिद्ध मूर्तिकार इन शिलाओं पर रामलला के बाल स्वरूप को जीवंत करने में जुट गए। राजस्थान की संगमरमर शिला पर विग्रह बनाने का काम मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय कर रहे हैं। कर्नाटक की श्याम रंग की एक शिला पर मूर्तिकार गणेश भट्ट व दूसरी शिला पर अरुण योगीराज ने रामलला की अद्भुत छवि उकेरी है।
रामचंद्र दास परमहंस को भी प्राण प्रतिष्ठा का आमंत्रण
राममंदिर आंदोलन के महानायक साकेतवासी रामचंद्र दास परमहंस को भी श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने आमंत्रण दिया है। वे दिगंबर अखाड़ा पहुंचे। रामचंद्र दास का नाम लिखा आमंत्रण कार्ड उनके चित्र के समक्ष रखकर आमंत्रित किया। चंपत राय ने कहा कि परमहंस महाराज मंदिर आंदोलन के महानायक थे। महापुरुष कभी दिवंगत नहीं होते। वे भले ही आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन सूक्ष्म रूप में आज भी वे अयोध्या में विराजमान रहते हैं, इसकी अनुभूति हमें होती है। मंदिर आंदोलन में उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस दौरान दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास, उत्तराधिकारी रामलखन दास, शरद शर्मा मौजूद रहे।
प्राण प्रतिष्ठा में राम जन्मभूमि परिसर को सजाने की थीम तय
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह कई मायनों में अद्भुत होगा। राम जन्मभूमि परिसर को इस तरह सजाया जाएगा कि रामायण युग जीवंत होता प्रतीत दिखे। इसके लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से एक थीम भी तय कर ली गई है। इसका ट्रायल रामसेवक पुरम में शुक्रवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों के सामने हुआ। यह थीम पुणे की एक संस्था ने बनाई है। पीएम मोदी जिस रास्ते से राम जन्मभूमि परिसर में प्रवेश करेंगे, वहां से लेकर प्राण प्रतिष्ठा स्थल तक भव्य सजावट की जाएगी। राम जन्मभूमि परिसर को सजाने के लिए जो थीम तय की गई है, उसमें न सिर्फ श्रीराम की जीवन यात्रा के दर्शन होंगे बल्कि उनके संदेशों को भी दर्शाया जाएगा। इसमें राम के बाल स्वरूप, योद्धा स्वरूप, वनवासी राम, राजाराम के भी दर्शन होंगे। इस थीम में अयोध्या का द़ृश्यांकन होगा। साथ ही राममंदिर की भी झलक दिखाई देगी। जय श्रीराम के साथ धनुष बाण का चिह्न होगा। कलश एवं तिलक सहित अन्य शुभता के प्रतीक भी सजे होंगे। रामचरित मानस के श्लोक भी जगह-जगह अंकित होंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि समेत अन्य पदाधिकारियों ने थीम को देखा है।

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