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सड़क हादसे के दौरान घायल हुआ सिपाही पहुचा कोमा में

आगरा। गौतमबुद्ध नगर में ड्यूटी के दौरान हादसे में घायल हुआ सिपाही सागर सिंह पांच साल से कोमा में हैं. बेटे का इलाज कराते-कराते खेत बिक गए. 65 लाख रुपये खर्च होने के बाद भी उम्मीद की किरण नहीं दिखी. उल्टा विभाग ने बेटे को सेवानिवृत्त कर दिया. पेंशन के नाम पर 3080 रुपये हर माह मिल रहे हैं. इससे घर का खर्च चलाना तो दूर, बेटे की दवा खरीदना भी मुश्किल है. पीड़ित पिता विशंभर सिंह ने कमिश्नर डॉ. प्रीतिंदर सिंह को रोते हुए यह पीड़ा बताई है. उन्होंने मामले में जांच के आदेश किए हैं.
दरअसल, आगरा के खंदौली के गांव हसनपुरा निवासी विशंभर सिंह घर में ही परचून की दुकान चलाते हैं. उनके दो बेटे और एक बेटी है. बड़ा बेटा सागर सिंह वर्ष 2016 में पुलिस विभाग में सिपाही के पद पर भर्ती हुआ था. उसकी पहली तैनाती गौतमबुद्ध नगर के थाना फेस-दो में थी. चार सितंबर 2017 को वह बाइक पर समन तामील करने के लिए थाने से रवाना किया गया था.
नगला कट के यूटर्न पर एक स्कूटी से टक्कर हो गई. सागर गंभीर घायल हो गया, वह कोमा में चला गया. चार अस्पताल में इलाज के बाद भी बेटा कोमा से बाहर नहीं आ सका. अब घर में ही इलाज करा रहे हैं. नवंबर 2021 में विभाग ने सागर को अनफिट होने की वजह से अनिवार्य सेवानिवृत्त कर दिया. इसके बाद 3080 रुपये पेंशन जारी कर दी, जबकि सागर की दवा और खाने-पीने पर ही हर महीने 10-12 हजार रुपये खर्च हो जाते हैं. बेटे का इलाज कराने में खेत बिक गए. लोगों से कर्ज भी लेना पड़ा.
पिता का यह भी कहना था कि उनको गौतमबुद्ध नगर कमिश्नरेट से एक पत्र भेजा गया था. इस पर बेटे के नाम के आगे स्वर्गीय लिखा गया था, जबकि सागर अभी कोमा में है. इस संबंध में विभागीय कर्मचारियों से शिकायत की थी. उन्होंने गलती बताकर सुधारने के लिए कह दिया. मगर, अब तक कुछ नहीं हुआ. पुलिस कमिश्नर डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने कहा कि पूरे मामले को दिखवाया जा रहा है. पेंशन में कोई त्रुटि होगी तो सही कराया जाएगा. परिजन से कहा गया है कि वह इलाज से संबंधित बिल जमा करें. इसके बाद भुगतान कराया जाएगा.

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