लोकसभा चुनावों के पहले सपा पार्टी के आतंरिक विवाद हल करना चाहती है। पार्टी उन सभी नेताओं को मनाने में जुटी है जो किसी भी वजह से पार्टी से नाराज हुए हैं।
सपा रूठों को मनाने के लिए खास अभियान चला रही है। इस दायरे में उन सभी नेताओं को लाने का फैसला किया गया है, जो नाराज तो हैं, पर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से अभी तक इस्तीफा नहीं दिया है। इसके लिए पार्टी के महासचिव शिवपाल सिंह यादव समेत सभी प्रमुख नेताओं को अहम जिम्मेदारी सौंपी गई हैं।
राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशियों के चयन को लेकर कई नेता सार्वजनिक रूप से एतराज जता चुके हैं तो कई अंदरखाने नाराज हैं। बदायूं के पूर्व सांसद सलीम शेरवानी ने भी पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार सलीम शेरवानी को मनाने के प्रयास चल रहे हैं। इसी तरह पूरे प्रदेश में जहां भी रूठे सपा नेताओं को मनाने के लिए अलग-अलग नेताओं को जिम्मेदारी दी जा रही है। ये उनसे वार्ता कर उनकी बात पार्टी हाईकमान तक पहुंचाएंगे। पुराने समाजवादी नेता रामगोविंद चौधरी ने तो रूठे स्वजनों को मनाने के प्रयास शुरू भी कर दिए हैं। वे पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य को मनाने उनके घर तक गए। हालांकि, इसमें सफलता नहीं मिली।
आने वाले चुनावों में कमेरावादी को हो सकता है लाभ
राज्यसभा प्रत्याशी के मुद्दे पर पार्टी के निर्णय का खुलकर विरोध करने वाली सपा की विधायक पल्लवी पटेल को तो मना लिया गया है। उन्होंने पार्टी के पीडीए प्रत्याशी यानी रामजीलाल सुमन को वोट देने की घोषणा की है। पल्लवी का कहना है कि वह पीडीए का हिस्सा हैं। इसलिए पीडीए प्रत्याशी का कभी भी विरोध नहीं किया। जिन प्रत्याशियों के नाम पर आपत्ति की, उस पर अभी भी कायम हूं। माना जा रहा है कि पल्लवी के विरोध का फायदा उनकी पार्टी अपना दल (कमेरावादी) को आने वाले विधान परिषद और लोकसभा चुनाव में हो सकता है।
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