राज्यसभा की यूपी की दस सीटों के परिणाम आ गए हैं। भारतीय जनता पार्टी द्वारा खड़े किए गए सभी आठ उम्मीदवार जीत गए हैं। सपा के हिस्से दो सीटें आई हैं। सपा ने इस चुनाव में तीन प्रत्याशी उतारे थे।
राज्यसभा में उत्तर प्रदेश की दस सीटों के लिए हुए चुनाव में मंगलवार को सपा के सात और सुभासपा के एक विधायक की क्रास वोटिंग के बीच भाजपा ने आठ और सपा ने दो सीटें जीतीं। कांग्रेस के समर्थन के बावजूद समाजवादी पार्टी के तीसरे प्रत्याशी और पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन चुनाव हार गए। भाजपा के आरपीएन सिंह, अमर पाल मौर्य, तेजवीर सिंह, नवीन जैन, साधना सिंह, डॉ. सुधांशु त्रिवेदी व डॉ. संगीता बलवंत सिंह और सपा की जया अमिताभ बच्चन और रामजी लाल सुमन राज्यसभा पहुंच गए।
लोकसभा चुनाव की अधिसूचना घोषित होने से चंद दिन पहले भाजपा ने प्रदेश में सपा को झटका देकर न केवल एक अतिरिक्त सीट हासिल कर ली, बल्कि सात विधायकों को भी अपने पाले में शामिल कर लिया। राज्यसभा चुनाव के लिए मंगलवार को सुबह 9 बजे से मतदान का सिलसिला शुरू हुआ। 399 विधायकों को मतदान करना था, लेकिन सपा के दो और सुभासपा का एक विधायक जेल में होने के कारण वोट नहीं कर पाईं। जबकि, सपा की एक विधायक महराजी देवी मतदान करने नहीं आईं। मतदान करने वाले 395 विधायकों में से सपा के विधायक शहजिल इस्लाम का मत खारिज हो गया। वैध मतों के आधार पर मतगणना की गई। भाजपा के प्रत्याशियों को प्रथम वरीयता के 294 और सपा प्रत्याशियों को 100 मत मिले।
जीतने वालों में किसे प्रथम वरीयता के कितने मत मिले
अमर पाल मौर्य (भाजपा)-38, जया अमिताभ बच्चन (सपा)-41, तेजवीर सिंह (भाजपा)-38, नवीन जैन (भाजपा)-38, आरपीएन सिंह(भाजपा)-37, रामजी लाल सुमन (सपा)-40, साधना सिंह(भाजपा)-38, डॉ. सुधांशु त्रिवेदी(भाजपा)-38, डॉ. संगीता बलवंत(भाजपा)-38, संजय सेठ(भाजपा)-29
कुछ रहा मिले वोटों का गणित
इन्होंने की क्रास वोटिंग
सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय, विधायक राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह, राकेश पांडेय, पूजा पाल, विनोद चुतर्वेदी, आशुतोष मौर्य ने भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ को मतदान किया। सुभापसा के विधायक जगदीश नारायण राय ने सपा को वोट दिया। जेल में बंद पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की विधायक पत्नी महराजी देवी ने मतदान नहीं किया। सूत्रों का कहना है कि महराजी ने भाजपा नेताओं से कहा था कि वह भाजपा प्रत्याशी को वोट नहीं देंगी लेकिन वह पार्टी की मदद के लिए मतदान ही नहीं करेंगी। उनके मतदान नहीं करने का फायदा भी भाजपा को ही हुआ।