हरतालिका तीज का त्योहार शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस त्योहार को देखते हुए महिलाएं देर शाम तक बाजारों में तैयारियां करती दिखीं। इसके साथ ही मेंहदी की दुकानें भी गुलजार रहीं।
कल हरतालिका तीज है। तीज की तैयारियों के तहत बृहस्पतिवार को शहर के प्रमुख बाजार में महिलाओं ने पूजा की सामग्री खरीदी। देर रात तक सुहागिनों ने हाथों पर मेहंदी रचाई। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए और कुंवारी कन्याएं मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए इस व्रत को रखती हैं।
इस दिन मां पार्वती और शिवजी की विधिवत पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और पूरे दिन पूजा ध्यान करने के बाद प्रदोष काल में पूजा करती है। ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल व पंडित धीरेन्द्र पांडेय के मुताबिक भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 5 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से शुरू हो रही है, जो 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी।
ऐसे में उदया तिथि के आधार पर हरतालिका तीज 6 सितंबर 2024, शुक्रवार को मनाई जाएगी। इस साल हरतालिका तीज पर रवि योग, शुक्ल योग के साथ हस्त नक्षत्र सुबह 9:25 तक उपरान्त चित्रा नक्षत्र रहेगा, जो काफी शुभ माना जा रहा है। इस दिन रवि योग सुबह 9 बजकर 25 मिनट से लग रहा है, जो अगले दिन 7 सितंबर को सुबह 6 बजकर 02 मिनट पर समाप्त होगा।
क्या है इस व्रत के पीछे की कथा
ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को पहली बार मां पार्वती ने भगवान शंकर को प्राप्त करने के लिए किया था। मां पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए अन्न, जल सभी त्याग दिया था। कठिन तपस्या के बाद भगवान शिव ने प्रकट होकर मां पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार करने का वचन दिया था। इस व्रत को करने से कन्याओं को मनोनुकूल वर, सौभाग्यवती महिलाओं को अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन गणेश पूजन के बाद शिव और पार्वती की पूजा उपासना की जाती है। व्रत की शुरूवात एक दिन पहले आधी रात से शुरू होती है।
व्रती स्त्रियां निर्जला व्रत रखती है। शुद्ध वस्त्र पहनकर प्रदोष काल में शिव, पार्वती की पूजा करती हैं। माता पार्वती को सुहाग का जोड़ा और श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ाई जाती है और हरितालिका तीज की व्रत कथा सुनती है। हरितालिका पूजा प्रातः काल का मुर्हूत 06 बजकर 02 से सुबह 08 बजकर 33 मिनट तक है। सायंकाल प्रदोषकाल में शिव-पार्वती की पूजा करें।
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