आज़मगढ़: मंडलीय अस्पताल के ब्लड बैंक का मामला अभी थमा भी नहीं था कि हमेशा विवादो में रहने वाले वरिष्ठ नेत्र डाक्टर चन्द्रहास फिर विवादों में घिर गए। वे कागजों में महज एक नेत्र चिक्त्सिक है लेकिन उनके फरमान से पैथोलाजी चलती है। पीडित मरीजों ने नेत्र सर्जन डाक्टर चंद्रहास पर शोषण का आरोप लगया।
मंडलीय जिला अस्पातल में जांच को लेकर प्रतिदिन एक डाक्टर के इशारे पर शुक्रवार को 11 बजे जांच घर बंद होने के बाद जांच कराने पहुंचे बुखार से पीड़ित रौनापार थाने के करखियां गांव निवासी रोशन यादव सुबह डाक्टर राजनाथ सिंह के ओपीडी में पहुंचे तो काफी भीड़ होने के कारण डाक्टर को दिखाए तो कई जांच करवाने के लिए डाक्टर ने कहा लेकिन तब तक लगभग 12 बज गए और पैथोलॉजी बंद हो गई। इसी बात को लेकर पैथोलॉजी में तैनात कर्मचारियों से पीड़ित की जांच को लेकर झड़प होने लगी बात इतनी बढ गई कि अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी मच गई। सूचना पर पहुंचे पैथालाजिस्ट डाक्टर अजहर सिद्दकी से स्वजन ने पूछा तो कुछ बोलने से पहले ही उलझ गए और मामला उच्च अधिकारियों पर पल्ला झाड़ते हुए निकल गए। वही लैब में तैनात कर्मचारियों से पूछा तो उन्होंने नेत्र सर्जन डाक्टर चंद्रहास को बताया कि इन्होंने आदेश दिया कि जब तक पर्चे पर डाक्टर की मोहर और हस्ताक्षर न हो जांच करने से मना किया है। वही डाक्टर चंद्रहास ने कहा कि हमारा कोई पैथोलॉजी विभाग में रोल नही है।
डॉक्टर चंद्रहास का खौफ इस कदर है कि उनके खिलाफ कोई भी स्वास्थ्य कर्मी बोलने से भी डरता है इतना होने के बाद भी पीड़ित की जांच नही हो सकी, जांच न होने पर पीड़ित के स्वजन हाथापाई पर उतारु हो गए लेकिन मौजूद लोगों ने समझा-बुझाकर मामला शांत कराया।
वहीं प्रभारी एसआईसी डॉ अमोद कुमार ने बताया कि इस तरह का कोई आदेश नहीं दिया गया है कि पर्ची पर मुहर नहीं होने पर जांच नहीं होगी।
इससे यह साफ है कि डा0 चन्द्रहास का मंडलीय अस्पताल में सिक्का चलता है। डा0 चन्द्रहास का पेट इतना बड़ा है कि सरकारी रूपए से पेट नहीं भरता तो मरीजों की जेब पर डाका डालने के लिए पैथोलाजी को बंद करा कर मरीजों को निजी पैथोलाजी पर भेजा जाता है। निजी पैथोलाजी से डा0 चन्द्रहास को मोटी रकम मिलती है।
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