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आजमगढ़ में बच्चों से हुआ भूतों का मुकाबला

आजमगढ़। 3 नवंबर को आजमगढ़ दौरे पर आए स्वास्थ राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने पश्चिमी सभ्यता को पीछे छोड़ भारतीय संस्कृति के उत्थान पर जोर दिया है, और भारत को एक बार फिर विश्व गुरु बनने की बात कही है, वही आजमगढ़ के कुछ कॉन्वेंट स्कूलों में विदेशी संस्कृतियो पर भी जोर दिया जा रहा है।

हालोवीन डे इस फेस्टिवल की शुरुवात सबसे पहले आयरलैंड और स्कॉटलैंड में हुई थी। इस फेस्टिवल में भूतो का गेटअप करने से पूर्वजों की आत्माओं को शांति मिलती है। ईसाई समुदाय में 31 अक्टूबर को सेल्टिक कैलेंडर का आखिरी दिन यानी हेलोवीन डे माना जाता है। गुगल से मिले सारांश के अनुसार आजमगढ़ शहर के मशहूर सनबीम स्कूल में भी बच्चों को भूत प्रेत की पोशाके पहनाकर और डरावने ड्राइंग से सजावट कर नकारात्मकता का एक विशेष आयोजन किया गया। भारतीय संस्कृति में इस प्रकार का कार्य करने से बच्चों के हृदय में नकारात्मकता के प्रति आकर्षक छाप जन्म ले सकती है। भारत में मनाए जाने वाले त्योहारों की सूची काफी लंबी चौड़ी है, बावजूद निजी स्कूल में अंग्रेजी बोलने और उसके कल्चर को अपनाने की होड़ लगी रहती है, जिस क्रम में आजमगढ़ के सनबीम स्कूल में इस तरह के आयोजन करके क्या संदेश दिया गया यह विचार करने योग्य है। इस तरह के मामले में मनोचिकित्सक स्नेहा सेठ का कहना है की इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन से मासूम बच्चों के मन को आघात पहुंच सकता है, चिंता, बेचैनी, घबराहट और डर के साथ साथ कई प्रकार की बीमारियों का भी सामना करना पड़ सकता है।

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