हादसे में आंख गंवाने वालों के लिए अच्छी खबर है।केजीएमयू ऐसे मरीजों को नकली आंख लगाई जा सकेगी। खास बात यह होगी यह नकली आंख हू-ब-हू असली की तरह प्रतीत होगी। केजीएमयू के दंत संकाय विभाग के डॉक्टर जल्द ही थ्रीडी तकनीक से कृत्रिम आंख तैयार करेंगे। यह जानकारी केजीएमयू प्रास्थोडॉन्टिक्स विभाग के अध्यक्ष डॉ. पूरन चन्द्र ने दी। केजीएमयू में भारतीय प्रोस्थोडॉन्टिक्स सोसायटी की ओर से प्री-कॉन्फ्रेंस हुई। डॉ. पूरन चन्द्र ने कहा कि दुर्घटना के दौरान आंख, दांत या फिर चेहरे के किसी अंग के क्षतिग्रस्त होने पर विशेष रूप से प्रशिक्षित डेंटल सर्जन कृत्रिम (नकली) अंग लगा सकेंगे। उन्होंने कहा कि नकली आंख थ्रीडी तकनीक से बनाई जाएगी। इसमें आंख की तरह पुतली घूमेगी भी। यह आंख भी इंप्लांट की मदद से मरीजों में प्रत्यारोपित की जाएगी। कृत्रिम आंख (Eye) से दिखाई नहीं देगा। पर, लोगों को किसी तरह के भेदभाव या शर्मिंदगी नहीं झेलनी पड़ेगी।
तनाव से घिस रहे दांत
केजीएमयू के डॉ. कौशल कुमार अग्रवाल के मुताबिक पहले पीछे के दांतों में मेटल की कैपिं का ही विकल्प था। सिरेमिक की कैपिंग ज्यादा मजबूत नहीं आती थी। अब मेंटल के ऊपर सिरेमिक कोटिंग करना आसान हो गया है। जो दांत के रंग की तरह लगते हैं। उन्होंने बताया कि दांत घिस जाना सामान्य प्रक्रिया है। तनाव की वजह से भी दांत घिस जाते हैं। ऐसे मरीजों के लिए प्रत्यारोपण एक बेहतर विकल्प है। इसमें घिसे हुए दांत के ऊपर ही कैपिंग कर दी जाती है। इससे दांत सुंदर दिखते हैं। वहीं मरीजों को खाने में दिक्कत नहीं होती है।
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