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आरओ/एआरओ परीक्षा पर एक हफ्ते में निर्णय संभावित

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की किसी भी परीक्षा के लिए पहली बार इतनी बड़ी संख्या में आवेदन आए और परीक्षा में सात लाख परीक्षार्थी शामिल हुए। प्रारंभिक परीक्षा के दौरान ही पेपर लीक विवाद सामने आने के बाद परीक्षा में शामिल ये सात लाख अभ्यर्थी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) प्रारंभिक परीक्षा-2023 में पेपर लीक विवाद को लेकर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के साथ ही शासन भी अपने स्तर से जांच करा रहा है। शासन ने 27 फरवरी तक अभ्यर्थियों से पेपर लीक से जुड़े साक्ष्य मांगे थे। यह मियाद मंगलवार को पूरी हो गई। परीक्षा को लेकर एक हफ्ते में निर्णय लिया सकता है।
दूसरी ओर, आयोग ने अभ्यर्थियों से दो मार्च तक साक्ष्य मांगे हैं। साथ ही आयोग की तीन सदस्यीय आंतरिक कमेटी अलग से मामले की जांच कर रही है। आयोग ने शासन को एसटीएफ जांच की संस्तुति भी भेजी थी। आयोग की आंतरिक जांच शुरू ही की थी, इसी बीच शासन ने मामले को अपने हाथ में ले लिया और अलग से भी इसकी जांच शुरू करा दी। 11 फरवरी को हुई आरओ/एआरओ की प्रारंभिक परीक्षा के लिए 1076004 अभ्यर्थियों ने आवेदन किए थे।
आयोग की किसी भी परीक्षा के लिए पहली बार इतनी बड़ी संख्या में आवेदन आए और परीक्षा में सात लाख परीक्षार्थी शामिल हुए। प्रारंभिक परीक्षा के दौरान ही पेपर लीक विवाद सामने आने के बाद परीक्षा में शामिल ये सात लाख अभ्यर्थी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। वहीं, पिछले तीन वर्षों में अभ्यर्थियों के बीच अपनी छवि तेजी से सुधारने वाले आयोग के सामने अब इसे बनाए रखने की चुनौती है।
कई प्रश्नों के सही मिले हैं उत्तर

प्रदेश की सबसे विश्वसनीय भर्ती संस्था की परीक्षा के दौरान पेपर लीक विवाद सामने आने के बाद शासन को भी इस मामले में सीधे हस्तक्षेप करना पड़ा है। सूत्रों का कहना है कि वायरल हुए प्रश्नपत्र के वैकल्पिक उत्तरों में भले ही सभी प्रश्नों के उत्तर सही न रहे हों, लेकिन काफी संख्या में उत्तर सही भी मिले हैं। ऐसे में परीक्षा से पहले पेपर वायरल होने के आरोपों को पूरी तरह से खारिज भी नहीं किया जा सकता है।

अभ्यर्थी यह सवाल भी उठा रहे हैं कि जब पेपर वायरल के मामले में पुलिस भर्ती परीक्षा निरस्त किए जाने का निर्णय लेने में देर नहीं हुई तो आरओ/एआरओ परीक्षा पर निर्णय लेने में देर क्यों रही है। जबकि, दोनों ही परीक्षा में पेपर वायरल होने की घटनाएं लगभग एक जैसी हैं। अभ्यर्थी परीक्षा निरस्त कराने की मांग को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं। ऐसे में आयोग के साथ शासन पर भी जांच जल्द पूरी करने का दबाव है। एक हफ्ते परीक्षा पर बड़ा निर्णय लिया जा सकता है।
असिस्टेंट प्रोफेसर पद के दो चयनितों का अभ्यर्थन निरस्त
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने अभिलेख प्रस्तुत न करने पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के तहत राजकीय मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के दो चयनितों का अभ्यर्थी निरस्त कर दिया है। साथ ही रिक्त हुए पदों पर दो नए अभ्यर्थियों के चयन की संस्तुति की गई है।
आयोग ने असिस्टेंट प्रोफेसर डेंटिस्ट्री के तीन पदाें पर सीधी भर्ती का परिणाम 12 अप्रैल 2023 को घोषित किया था। अभिलेख प्रस्तुत न करने के कारण आयोग ने चयनित अभ्यर्थी राजीव पाल का चयन निरस्त कर दिया गया है और रिक्त हुए पद पर निधि गुप्ता के चयन की संस्तुति की है। वहीं,असिस्टेंट प्रोफेसर जनरल सर्जरी के 11 पदों का भी चयन परिणाम 12 अप्रैल 2023 को घोषित किया गया था। अभिलेख प्रस्तुत न करने पर आयोग ने कृष्ण मुरारी का चयन निरस्त कर दिया है और एक पद रिक्त हो जाने के कारण अभिषेक गुप्ता का चयन किया गया है।

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