फरीदपुर थाने का इंस्पेक्टर रामसेवक सत्तापक्ष के एक विधायक का नजदीकी रिश्तेदार बताया जा रहा है। जिसकी वजह से वह पूरी दबंगई से थानेदारी करता था। स्मैक तस्करों से वसूली के लिए उसने खास स्टाफ को लगा रखा था।
बरेली के फरीदपुर थाने का इंस्पेक्टर रामसेवक हर प्रार्थना पत्र पर सिपाहियों से वसूली करा रहा था। थाने के समानांतर इंस्पेक्टर अपना एक अलग थाना चलाता था। खनन, नशा, जुआ-सट्टा सब में इंस्पेक्टर का हिस्सा तय होता था। उसने दो स्मैक तस्करों को छोड़ने के एवज में सात लाख रुपये रिश्वत ली थी। एसएसपी के निर्देश पर एसपी दक्षिणी ने थाने में छापा मारा, तब इंस्पेक्टर के काले कारनामे सामने आए।
थाने में आने वाले हर प्रार्थनापत्र की जांच बीट सिपाहियों से कराई जाती थी। इससे हल्का दरोगा भी इंस्पेक्टर से नाराज रहते थे। दरोगा अपनी पीड़ा कुछ लोगों से बयां भी करते कि इंस्पेक्टर हर शिकायत पर सिपाहियों से वसूली कराता है। इंस्पेक्टर के फरार होने के बाद नगर के लोगों में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।
तस्करों को संरक्षण देने का भी आरोप
स्मैक तस्करों की बात करें तो कुछ समय से फरीदपुर थाना प्रभारी पर उन्हें संरक्षण देने का आरोप लग रहा था। पढ़ेरा, बेहरा, मोहनपुर, मोहल्ला ऊंचा, भूरे खां गौंटिया, मोहल्ला मिर्धान के कुछ लोग लगातार स्मैक तस्करी करते हैं।
फरीदपुर पुलिस को जानकारी के बाद भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती थी। सूत्रों के अनुसार जिन बीट सिपाहियों को स्मैक तस्करों से महीना वसूली की जिम्मेदारी दी जाती थी, उनकी बाकी शिकायतें और लापरवाही भी दरकिनार की जाती थी।
इस तरह चल रही थी वसूली
चर्चा है कि इंस्पेक्टर रामसेवक के राज में कई और भी गलत धंधे चल रहे थे। रात में खनन भी पुलिस संरक्षण में होता था। बिना अनुमति खनन करने के बदले फरीदपुर इंस्पेक्टर दस हजार रुपये प्रति रात के हिसाब से रिश्वत लेता था। इस रकम में भी नीचे का स्टाफ बंटवारा करता था।
फरीदपुर से गुजरने वाली जयपुर-दिल्ली वाली डबल डेकर बसों से थाने का महीना बंधा बताया जा रहा है। इन बसों से स्मैक, अफीम, गांजा तक की सप्लाई की जाती है। दो बार फरीदपुर पुलिस ने भी इन बसों से गांजा जाते हुए पकड़ा। नगर में कई जगह ऑनलाइन सट्टा लगता है। मोहल्ला परा समेत नगर में कुछ जगह बड़ा जुआ होता है, जिसमें बड़े जुआरी दूर दूर से जुआ खेलने आते हैं। यह भी पुलिस की जानकारी में होता है।
विधायक का रिश्तेदार…मर्जी से चलाता था थाना
इंस्पेक्टर रामसेवक सत्तापक्ष के एक विधायक का नजदीकी रिश्तेदार होने की वजह से पूरी दबंगई से थानेदारी करता था। वह लगातार थाने के चार्ज पर रहा। थानों में अपनी सहूलियत के हिसाब से तैनाती भी पा लेता था। रामसेवक हरदोई के सुरसा थाना क्षेत्र के गांव पीपरपाली का रहने वाला है। पुलिस की नौकरी में उसने काफी संपत्ति बनाई है। बताते हैं कि उसने लखनऊ में आलीशान कोठी बना रखी है, वहां पत्नी व बच्चे रहते हैं। गांव में भी उसकी संपत्ति कई गुना बढ़ गई है। पिछले साल नवंबर से वह फरीदपुर कोतवाली में तैनात था।
लखनऊ हाईवे किनारे का यह थाना चर्चित है, जो जिले में फतेहगंज पश्चिमी के बाद स्मैक तस्करी के लिए सबसे बदनाम है। लखनऊ और हरदोई से नजदीकी और कमाई की वजह से रामसेवक ने जुगाड़ करके अपनी तैनाती फरीदपुर थाने में कराई थी। पीलीभीत जिले के ही एक विधायक उसके रिश्तेदार हैं जिनकी कृपा से वह बरेली जिले में भी थानेदारी कब्जाए हुए था।
तीनों आरोपियों से मांगे थे 15 लाख
फरीदपुर पुलिस ने स्मैक तस्करी के आरोप में नवदिया अशोक गांव के जिन तीन आरोपियों को पकड़ा, उनमें आलम, नियाज व अशनूर शामिल थे। आलम अपनी ननिहाल नवदिया अशोक में रहता है। फरीदपुर बड़ा बाईपास पर आलम के नाना का समनानी मुस्लिम ढाबा है।
ढाबे को आलम ही संचालित करता है। सूत्रों के मुताबिक अशनूर ने बताया कि इंस्पेक्टर ने तीनों व्यक्तियों को छोड़ने के लिए 15 लाख रुपये की मांग की थी। फिर साढ़े दस लाख रुपये में बात हो गई थी। सात लाख रुपये लेकर दो तस्करों को छोड़ दिया।
तलाशी में मिले 9.85 लाख रुपये
एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि एसपी दक्षिणी ने इंस्पेक्टर के आवास की तलाशी ली। यहां एक जगह सात लाख रुपये तो दूसरी जगह से करीब 2.85 लाख रुपये बरामद किए गए। इंस्पेक्टर की गिरफ्तारी के लिए टीमें गठित की गई हैं।
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