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जाँच व इलाज की सुविधा से जल्दी स्वस्थ हो रहे टीबी मरीज़

चार वर्षों में कोल्हूखोर जहानागंज पीएचसी से 900 से ज्यादा मरीजों का हुआ इलाज
आजमगढ़: जिले में टीबी की जाँच व इलाज की सुविधाएँ मजबूत हुई हैं| आधुनिक जाँच मशीनों से लेकर लैब, दवाओं आदि के लिए लोगों को भटकना नहीं पड़ रहा है| यही कारण है कि टीबी मरीज़ समय से ठीक होकर सामान्य जीवन जी रहे हैं| यह कहना है जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. परवेज अख्तर का|
डॉ. परवेज ने बताया – जिले की आबादी करीब 58 लाख है और 22 ब्लाक हैं| जिला क्षय रोग केंद्र समेत कुल 84 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और 22 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर टीबी की जाँच व इलाज की सुविधा उपलब्ध है| जाँच के लिए दो सीबी नाट, 7 ट्रू नेट मशीन व 52 डीएमसी लैब हैं| लगभग 552 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर संभावित मरीजों की जाँच और 1522 डाट सेंटर से मरीजों को दवाएँ दी जाती हैं| वर्तमान में 1422 मरीजों का इलाज चल रहा है|
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोल्हूखोर जहानागंज के चिकित्सा अधीक्षक डा. धनंजय कुमार पांडेय ने बताया कि इस ब्लाक पीएचसी पर पिछले चार वर्षों में 946 मरीजों का इलाज किया गया जो आज पूरी तरह स्वस्थ हैं| वर्ष 2018 से प्रत्येक टीबी मरीज को इलाज के दौरान 500 रूपये प्रतिमाह पोषण के लिए भी दिए जा रहे हैं| चार वर्षों में योजना के तहत टीबी मरीजों के खातों में 13.96 लाख रूपये का भुगतान किया जा चुका है| इन सभी सुविधाओं के चलते अब मरीज़ खुलकर उपचार के लिए आगे आ रहे हैं| इससे सरकार के वर्ष 2025 तक क्षय उन्मूलन के प्रयास को मजबूती मिल रही है|
लक्षण नजर आने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर दिखाएं –डॉ धनंजय
डा. धनंजय ने बताया – टीबी एक जनसामान्य की बीमारी है जो किसी भी उम्र के पुरुष, महिला या बच्चों को हो सकती है| यह बीमारी बाल और नाखून को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है| सामान्य टीबी का इलाज लगभग छह महीने तक चलता है लेकिन दवा बीच में छोड़ देने से यह बीमारी गंभीर रूप ले सकती है| इसे एमडीआर या एक्सडीआर टीबी कहते हैं जिसका इलाज नौ माह से तीन वर्ष तक चलता है और ससमय निदान न होने पर मरीज की मृत्यु भी हो सकती है|
अगर किसी भी सामान्य व्यक्ति में एक सप्ताह तक लगातार खांसी, रात में तेज बुखार, पसीना आना, कमजोरी, भूख न लगना या वजन का लगातार कम होने के लक्षण दिखें तो तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जाँच अवश्य कराएं|यह लक्षण टीबी के भी हो सकते हैं|
दवा के साथ आहार पर ध्यान देना भी ज़रूरी
मुहम्मदपूर ब्लॉक के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ रोहित मिश्रा
ने बताया कि टीबी में अक्सर विटामिन ए,विटामिन सी और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स की कमी देखी जाती है| इसलिए टीबी को ठीक करने के लिए इनके स्तर को सामान्य स्तर पर लाना बहुत आवश्यक होता है| इसके लिए स्थानीय स्तर पर मिलने वाले मोटे अनाज व विटामिन-सी युक्त फल सबसे फायदेमंद हैं|
मरीजों के बयान
गाँव सनपुर के महेंद्र (45) ने बताया कि लगभग 20 दिन से कुछ भी खाने पर स्वाद ठीक नहीं लग रहा था| सिर में दर्द और हल्का बुखार भी था| शुरू में मेडिकल स्टोर से दवा ली पर आराम न मिलने पर घर के ही नजदीक पीएचसी पर गया| डॉक्टर ने बलगम की जाँच और एक्स-रे कराया जिसमें दो दिन बाद तीन अगस्त 2022 को टीबी बताया गया| डॉक्टर की सलाह अनुसार छह माह तक लगातार पीएचसी से दवा ली|आज मैं पूरी तरह स्वस्थ हूँ|
गांव अतराम से लाल बहादुर (23) ने बताया – लगातार खांसी आने और वज़न कम होने से परिवार वाले परेशान थे और समस्या आशा दीदी को बतायी | आशा घर आई और हमें साथ लेकर पीएचसी गई जहाँ सभी जांचें हुई| टीबी की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर 29 जुलाई 2022 से टीबी की दवा शुरू हुई| दो महीने दवा लेने के बाद बुखार और खासी बंद हो गयी| लेकिन मैं नियमित समय पर दवा का सेवन करता रहा और 12 जनवरी 2023 को जांच रिपोर्ट निगेटिव आई l

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