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सामूहिक विवाह में बिना दूल्हे के दुल्हनों की कराई शादी

बलिया जिले के मनियर में सामूहिक विवाह समारोह के दौरान विवाहित महिलाओं को बैठाकर योजना का लाभ दिलाने का आरोप है। समारोह में दुल्हनों द्वारा खुद से वरमाना पहनने का वीडियो वायरल होने के बाद मामला चर्चा का विषय बन गया है।
बलिया जिले के मनियर में 25 जनवरी को आयोजित मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना को लेकर जमकर किरकिरी हो रही है। विवाह समारोह में मौजूद महिलाओं के वर अनुपस्थिति में स्वयं ही अपने गले में वरमालाएं डालने का वीडियो वायरल होने से मामला चर्चा का विषय बना है। रामपुर, घाटमपुर, छितौनी आदि कई गांवों की ऐसी कन्याओं को बुलाया गया था जिनकी शादी, एक या दो वर्ष पहले हो चुकी है। यहां तक कि मुस्लिम कन्याओं को फेरे दिलवा दिए गए थे। हालांकि योजना से संबंधित धनराशि अभी कन्याओं के खाते में हस्तांतरित नहीं की गई है। सीडीओ ओजस्वी राज ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया। कमेटी ने गांवों में जाकर जांच भी शुरू कर दी है। फर्जी लाभार्थियों के खिलाफ समाज कल्याण अधिकारी की ओर से मनियर थाने में तहरीर भी दी गई है।
समाज कल्याण विभाग से संचालित शादी अनुदान योजना की तरह धीरे-धीरे मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना भी भ्रष्टाचार का शिकार होने लगी है। हालांकि सरकार की ओर से इस वर्ष आवेदन से लेकर धन जारी करने तक की प्रक्रिया को ऑनलाइन किया गया है। इसके बावजूद इसमें धांधली करने वाले बाज नहीं आ रहे। प्रति लाभार्थी 16 हजार की धनराशि विभाग की ओर से खर्च की जाती है।
इसमें 10 हजार रुपये दंपति को उपहार देने पर और 6 हजार की धनराशि आगंतुकों के खाने-पीने आदि पर खर्च की जाती है। 35 हजार कन्या के खाते में हस्तांतरित किए जाते हैं। 17 जनवरी को बेल्थरारोड में हुए सामूहिक विवाह के दौरान उपहार में घालमेल को लेकर हंगामा हुआ था। अब मनियर में शादी में फर्जी जोड़ों को शामिल करने संबंधी वीडियो वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में कन्याओं के पति गायब हैं। एक कतार में खड़ी अधिकतर कन्याएं अपने से वरमाला पहन रही हैं।
सक्रिय है रैकेट, वर्षों से दे रहा खेल को अंजाम, गर्दन बचाने को नहीं होती जांच
शादी अनुदान योजना में खूब भ्रष्टाचार का खेल होता है। इसको अंजाम देने के लिए रैकेट वर्षों से सक्रिय है जो ब्लॉक से लेकर विभाग के बाबू तक सेटिंग रखता है। पूर्व में कई बार जांच में फर्जीवाड़ा सामने आया लेकिन अंजाम तक नहीं पहुंचा क्योंकि इसमें विभाग के अलावा उच्चाधिकारियों के भी गर्दन फंसने लगते हैं। सूची को कभी भी सार्वजनिक नहीं किया जाता। इसी तर्ज पर रैकेट सामूहिक विवाह योजना में वर्षों से सेंध लगा रहा है।
ऑडिट ने भी पकड़ी थी गड़बड़ी
वर्ष 2019-20 से 2021-22 के बीच हुई ऑडिट में सामूहिक विवाह में धांधली की बात सामने आई। सामूहिक विवाह योजना में भारी संख्या में आधार कार्ड के सत्यापित न होने के कारण समपरीक्षा दल ने रेवती ब्लॉक के उदहां में जाकर लाभार्थियों का सत्यापन किया और उनके बयान दर्ज किए। उदहां व अन्य गांव में किसी की वर्षों पहले की शादी निकली तो किसी के कई बच्चे मिले, लेकिन यह रिपोर्ट कहां गई कोई नहीं बता रहा।
क्या कहते हैं अधिकारी
शादी के लिए जोड़ों के सत्यापन का कार्य ब्लाक स्तरों पर किया गया है। पूरे मामले की जांच कमेटी गठित की गई है। 23 टीमें ब्लाकवार मामले की जांच कर रही हैं। गड़बड़ी या संलिप्तता पाए जाने पर लाभार्थियों के साथ सत्यापन करने वालों पर कार्रवाई होगी।

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